नर्मदा का सीना छलनी, विभाग के मुंह पर ताला
नर्मदा का सीना छलनी, विभाग के मुंह पर ताला
देवास(चेतन राठौड़)। खनिज विभाग की कार्यशैली से आज शहर सहित जिले का प्रत्येक नागरिक भलीभांति परिचित है जिस नर्मदा को मां कहकर पूजा जाता है, उसी की कोख में दिन-रात खनिज माफिया नोचते जा रहा हैं और खनिज विभाग आंखें बंद कर बैठा है। धनतालाब घाट अब घाट नहीं, ओवरलोड डंपरों का रेत बाजार बन चुका है। हर दिन सैकड़ों डंपर बिना दस्तावेज, बिना रॉयल्टी, सीधे शासन की आंखों में धूल झोंकते हुए निकलते हैं और शासन है कि आंखों में पट्टी बांधकर सब सही है का जाप कर रहा है।
माफिया की जेब में विभाग...
ओवरलोड गाड़ियाँ, तेज रफ्तार, घंटों जाम, हादसे, मरीज फंसे, स्कूली बच्चे परेशान लेकिन विभाग है कि अचानक निरीक्षण के नाम पर दो ट्रैक्टर पकड़कर फोटो छपवा लेता है और फिर महीनों की नींद पूरी करता है।
ट्रैफिक भी सिर झुकार खड़ा...
भारी डंपर आधे रास्ते में दम तोड़ देते हैं और पीछे लाइन लग जाती है मरीज मर जाए, स्कूल छूट जाए, कोई फर्क नहीं। घाट का नया नाम रखा जाना चाहिए जामतालाब घाट।
हादसे पर हादसे...
हर हादसे के बाद जिम्मेदार एक ही स्क्रिप्ट पढ़ते हैं हमने जांच शुरू कर दी है,जो सीधे कूड़ेदान में जाती है। जनता का क्या है, रोज मरती है, कभी धूल में, कभी चुप्पी में।
जवाबदारों की मौन स्वीकृति,माफियाओं की खुली छूट...
खनिज विभाग की भूमिका अब डंपर पासिंग एजेंसी जैसी हो चुकी है। कार्रवाई नहीं, केवल चालानी औपचारिकता और फिर आराम से कुर्सी पर पसरा अधिकारी अगली फोटो के इंतजार में।
सरकार को करोड़ों का नुकसान...
रेत खिसक रही है, जलस्तर गिर रहा है, पर्यावरण रो रहा है और समाजसेवियों की आवाजें एसी कमरों की दीवारें नहीं पार कर पा रहीं। सवाल ये है कि क्या देवास अब रेत माफियाओं का पंचायत बन चुका है?
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