देवास बैंक नोट प्रेस चोरी प्रकरण,आरोपी को आजीवन कारावास


तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश न्यायालय ने सुनाया फैसला

शक के आधार पर हुआ मामले का खुलासा हुआ

नोटों को जूते में छिपाकर चोरी करता था 

देवास- जनवरी 2018 बैंक नोट प्रेस में चोरी के मामले ने देवास से दिल्ली तक माहौल गर्म कर दिया था। चोर और कोई नही  बैंक नोट प्रेस का ही उपनियंत्रक अधिकारी मनोहर वर्मा,उम्र-55 वर्ष निवासी-34 साकेत नगर,देवास था।मनोहर ने पूछताछ में बताया था कि यह चोरी वह 8 महीनों से कर रहा था। 

शक हुआ और मामले का खुलासा हुआ

मामला तब प्रकाश में आया जब सीआईएसएफ के जवान आ/जीडी मनेंद्र सिंह एवं आ/जीडी लीलेश्वर प्रसाद ने द्वारा देखा गया कि मनोहर वर्मा एक बॉक्स में कुछ वस्तु छुपाकर रख रहा था ,जो उन्हें देखने मे संदिग्ध लगी। सीआईएसएफ जवानो ने अपने उच्च अधिकारियों को इसकी सूचना दी ।निरीक्षक/कार्य अनिल कुमार, निरीक्षक/कार्य आकाश दुबे,निरीक्षक/कार्य डीएल मीणा एवं उपनिरीक्षक/कार्य पंकज सिंह,उपनिरीक्षक/कार्य विकास चौधरी घटना स्थल पर पहुँच कर मनोहर की तलाशी लेने पर उसके पैर के जूतों में 200-200 रुपये के दो बंडल पाए गए।जिसे कब्जे में लेकर पूछताछ की,तलाशी लेने पर टेबल दराज में पांच सौ रुपये एवं दो सौ रुपये के विभिन्न नोट तकरीबन 26,09,300 बरामद किए गए।जब मनोहर की घर की तलाशी ली गयी तो लगभग 64,50,000 रुपये पांच सौ,दो सौ रुपये के नोट जप्त किये गए।

अभियोजन ने दी जानकारी

राजेंद्र सिंह भदौरिया, प्रभारी उपसंचालक अभियोजन/ जिला अभियोजन अधिकारी देवास ने मामले की जानकारी देते हुए बताया कि प्रकरण पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।फरियादी विकास चौधरी एवं अन्य साक्षीगण के कथन लेखबद्ध किये गए।घटना स्थल के आसपास लगे सीसीटीवी फुटेज 10 जनवरी 2018 से 19 जनवरी 2018 तक कि हार्ड डिस्क एवं साक्ष्य अधिनियम के प्रमाण पत्र सहित आरोपी मनोहर का सेवा अभिलेख,जप्त नोट से सम्बंधित विकृत/रिजेक्टेड नोट के रजिस्टर,सूचियां जप्त की गई।

रिजेक्टेड नोटों को नष्ट करने के बजाए,छुपाकर घर ले जाता था

विवेचना में उपलब्ध साक्ष्य से पाया गया कि आरोपी रिजेक्टेड नोटों को नष्ट न करवाते हुए,छुपाकर घर ले जाता था।आरोपी के विरुद्ध धारा 409,489(ख)(ग) भादवि का अपराध पूर्णतः सिद्ध पाए जाने पर तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश न्यायालय जिला देवास द्वारा 16 मार्च 2022 को निर्णय पारित करते हुए आरोपी मनोहर वर्मा को धारा 409,489(ख) में आजीवन कारावास व 25000- 25000 रुपए का अर्थदंड एवं धारा 489(ग)भादवि में सात वर्ष का सश्रम कारावास व 25000 रु. के अर्थदंड से दंडित किया।

इनका रहा विशेष सहयोग

उक्‍त प्रकरण में शासन की ओर से अभियोजन का संचालन तत्‍कालीन उप संचालक अभियोजन अजयसिंह भंवर द्वारा किया गया एवं वर्तमान में उक्‍त प्रकरण का सफल संचालन अविनाश सिरपुरकर एवं कौस्‍तुभ पाठक,  अधिवक्‍ता (विशेष लोक अभियोजक) द्वारा किया गया एवं कोर्ट मोहर्रिर आरक्षक 105 विनोद लहरी का विशेष सहयोग रहा। जानकारी मीडिया प्रभारी ऊदल सिंह मौर्य ने दी।

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