नेताओं के संरक्षण में खनिज विभाग की मिलीभगत बेनकाब
*कलेक्टर ने खोला मोर्चा,रेत माफिया पर कार्यवाही
देवास। नर्मदा नदी के फतेहगढ़, राजौर, इमली और तमाम घाटों पर वर्षों से चल रहे रेत के अवैध उत्खनन का काला खेल आखिरकार उजागर हो गया है। बताया जा रहा है कि इस अवैध कारोबार को सतवास के एक भाजपा नेता और एक जनपद अध्यक्ष का सीधा संरक्षण प्राप्त है। इनके इशारे पर खनिज विभाग के अधिकारी महीनों तक आंख मूंदे बैठे रहे और रेत माफिया नर्मदा की रेत को ट्रैक्टर-ट्रालियों में भरकर खुलेआम बेचते रहे।
गत 17 सितंबर को जब कलेक्टर ऋतुराज सिंह ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कन्नौद, खातेगांव व बागली के एसडीएम को सख्त निर्देश जारी किए कि फतेहगढ़ सहित सभी घाटों पर 24 घंटे चौकीदार तैनात कर अवैध खनन पर तत्काल रोक लगाई जाए, तब जाकर सोया हुआ खनिज विभाग हरकत में आया।
कलेक्टर के आदेशों के बाद बुधवार को सतवास तहसीलदार अरविंद दीवाकर अपनी टीम के साथ फतेहगढ़ घाट पहुंचे, लेकिन कार्रवाई की भनक लगते ही रेत माफिया अपने ट्रैक्टर-ट्रालियों समेत भूमिगत हो गए। टीम को मौके पर एक भी ट्रैक्टर नहीं मिला, हालांकि नदी से रेत निकालने में उपयोग की जा रही चार मोटर जब्त कर नगर परिषद को सुपुर्द की गईं।
कलेक्टर ने अपने पत्र में स्पष्ट लिखा है कि इन घाटों पर कोई रेत खदान स्वीकृत नहीं है। इसके बावजूद लंबे समय से चल रहे इस करोड़ों के रेत कारोबार को खनिज विभाग ने रोकने का नाम तक नहीं लिया। यह साफ संकेत है कि सत्ता के संरक्षण में अधिकारी और नेता दोनों इस गोरखधंधे में शामिल हैं। मजदूरों की जान जोखिम में डालकर मोटरों से रेत निकालने का खेल अब कलेक्टर की सख्ती के बाद उजागर तो हुआ है, लेकिन असली सवाल यह है कि इतने वर्षों तक खनिज विभाग और स्थानीय प्रशासन ने चुप्पी क्यों साध रखी थी?अब जबकि कलेक्टर ने मोर्चा खोल दिया है, जनता यह जानना चाहती है कि क्या सरकार अपने ही नेताओं और अफसरों पर कार्यवाही का साहस दिखाएगी या यह छापा भी कागजी कार्यवाही बनकर रह जाएगा।


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