मेडिकल कॉलेजों की जांच में रिश्वतखोरी का खुलासा, CBI का देशभर में छापा, डॉक्टर और बिचौलिए गिरफ्तार

मेडिकल कॉलेजों की जांच में रिश्वतखोरी का खुलासा, CBI का देशभर में छापा, डॉक्टर और बिचौलिए गिरफ्तार

रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च से जुड़ा मामला

नई दिल्ली।देश की चिकित्सा शिक्षा पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने मेडिकल कॉलेजों को मान्यता दिलाने के नाम पर चल रहे एक संगठित घोटाले का पर्दाफाश करते हुए देशभर में बड़ी कार्रवाई की है। छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान, उत्तरप्रदेश और दिल्ली समेत 40 से अधिक ठिकानों पर एक साथ ताबड़तोड़ छापेमारी कर सीबीआई ने छह लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें तीन डॉक्टर भी शामिल हैं।

गिरफ्तार डॉक्टरों में डॉ. अशोक डी. शेल्के, डॉ. मंजप्पा और चित्रा मदनहल्ली के नाम सामने आए हैं। इन पर आरोप है कि इन्होंने कॉलेजों के पक्ष में अनुकूल निरीक्षण रिपोर्ट देने के लिए मोटी रिश्वत ली। पूरा मामला रायपुर स्थित श्री रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च से जुड़ा है, जहां संस्थान के पदाधिकारी और निरीक्षण करने आए डॉक्टर आपस में सांठगांठ कर वैधानिक प्रक्रिया को धता बताते हुए मान्यता दिलाने की डील कर रहे थे।

सूत्रों के मुताबिक, सीबीआई को पहले से ही इस घोटाले की पुख्ता सूचना मिल चुकी थी। इसके बाद एजेंसी ने पूरे नेटवर्क पर नजर रखते हुए एक सुनियोजित ट्रैप बिछाया और रिश्वत के लेन-देन के दौरान छह लोगों को रंगे हाथों दबोच लिया। गिरफ्तार आरोपियों को आज (2 जुलाई) सीबीआई की विशेष अदालत में पेश किया जाएगा।सीबीआई की यह कार्रवाई केवल एक कॉलेज तक सीमित नहीं है। एजेंसी की नजर अब अन्य मेडिकल संस्थानों पर भी है, जो मान्यता के लिए इसी तरह के भ्रष्ट रास्तों का सहारा लेते रहे हैं।

इस पूरे प्रकरण ने एक बार फिर यह उजागर कर दिया है कि मेडिकल कॉलेजों की निरीक्षण प्रणाली किस कदर भ्रष्ट हो चुकी है। कॉलेज मालिकों से लेकर निरीक्षक डॉक्टर और उनके बीच की कड़ी बने बिचौलिए सबने शिक्षा को व्यापार बना दिया है, और छात्रों के भविष्य की कीमत पर अपनी जेबें भरी जा रही हैं।सीबीआई की जांच इस दिशा में भी आगे बढ़ रही है कि क्या यह पूरा नेटवर्क किसी बड़े सिंडिकेट के इशारे पर काम कर रहा था? क्या उच्चस्तरीय अधिकारियों की भी इसमें संलिप्तता है? और क्या पहले भी कई कॉलेज इसी तरीके से मान्यता प्राप्त कर चुके हैं?

चिकित्सा शिक्षा का यह चेहरा बेहद शर्मनाक है। जिस क्षेत्र में शुचिता और ईमानदारी सबसे अधिक अपेक्षित है, वहां यदि मान्यता जैसी संवेदनशील प्रक्रिया को भी रिश्वत से संचालित किया जा रहा है, तो फिर आम जनता को स्वस्थ सेवाएं कैसे मिलेंगी?यह मामला सिर्फ कॉलेज की मान्यता का नहीं, बल्कि पूरे स्वास्थ्य ढांचे की साख पर प्रश्नचिह्न है। आने वाले समय में इस जांच के और भी चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं।

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