कई वर्ष बीते पर नहीं मिला उचित न्याय
जनसुनवाई में भी लगा चुके हैं गुहार
कई बड़े निवेशकों से लेकर छोटे फुटकर विक्रेताओं की लंबी फेहरिस्त
देवास। आमजन पैसो की थोड़ी थोड़ी कुछ बचत अपने सुनहरे भविष्य की तलाश में अपने बचत का पैसा कभी कभार ऐसी जगह निवेश कर देता है, जिसके परिणाम आगे चलकर बहुत ही दुख भरे समय का अनुभव करवाते है। भोले भाले लोगों को पैसे डबल या अधिक राशि का लालच देकर ठगी की जाती रही है। देवास जिले में भी एक ऐसी ही चिटफंड कम्पनी द्वारा लालच देकर कई लोगो को ठगा गया जिसके निवेशक आज तक न्याय की प्रतीक्षा में भटक रहे है। चिटफंड कंपनी जीएन गोल्ड, जीएन डेयरी, जी लाइफ इंडिया, मालवांचल की कुर्क की गई संपत्ति के नीलामी की मांग निवेशक पांच वर्ष से कर रहे है। लेकिन अभी तक कोई हल नही निकला। कंपनी की कुर्क की गई संपत्ति को नीलामी कर अर्जित रकम निवेशकों को प्रदाय किए जाने को लेकर देवास जिले के निवेशक मंगलवार को जनसुनवाई में पहुंचे और गुहार लगाई। निवेशक सुरेंद्र सिंह सेंधव ने बताया कि चिटफंड कंपनी के विरुद्ध निवेशकों के हितों का संरक्षण अधिनियम, 2000 अंतर्गत जिला सत्र न्यायालय देवास में दर्ज प्रकरण में न्यायालय द्वारा 6 सितंबर 2016 को उक्त चिटफंड कंपनी की चल-अचल संपत्ति कुर्क करने एवं दिनांक 21 दिसंबर 2016 को कुर्क की गई संपत्ति की नीलामी कर अर्जित रकम निवेशकों को प्रदाय करने के आदेश कलेक्टर व सक्षम अधिकारी को प्रसारित किए है। देवास जिले में स्थित संपत्ति व इंदौर में विजयनगर मैट्रो टावर में स्थित दुकान 205, 210 की नीलामी करने का कष्ट करे, जिससे गरीब जनता की धन वापसी हो सके। निवेशकों ने बताया कि न्यायालय द्वारा दिए आदेश को लगभग 5 वर्ष हो जाने के बाद भी किसी प्रकार की नीलामी नहीं कि गई और हमें हमारी मेहनत का पैसा नहीं लौटाया गया है। इस कारण न्यायालय के आदेश में बहुत विलंब होकर अवहेलना हो रही है। न्यायालय के आदेशों का पालन करना व करवाना शासन प्रशासन दोनों का संयुक्त दायित्व है। इस संबंध में जिला कलेक्टर एवं सक्षम अधिकारी को कई बार अवगत करा चुके है, परंतु अब तक कोई कार्यवाही नहीं हो पाई है। निवेशकों ने मांग की है कि हम पीड़ितों की सहायता एवं न्यायालयीन आदेश के परिपालन हेतु उक्त चिटफंड कंपनियों की कुर्क की गई संपत्ति की नीलामी की जाए या कुर्क की गई संपत्ति शासन स्वयं स्वामित्व कर जल्द से जल्द हम पीड़ितों को हमारी मेहनत की राशि देकर न्याय प्रदान करे। इस दौरान कई निवेशक उपस्थित रहे।
आपको बता दें कि यह प्रकरण देवास के सभी आला अधिकारियों के संज्ञान में है। कई कलेक्टर आये और चले गए लेकिन कोई भी ठोस नतीजे पर पहुँच कर निवेशकों को उचित न्याय नहीं दिलवा पाया है। ऐसे कई छोटे निवेशक हैं जिन्होंने अपनी जमापूंजी अपने बच्चों की शादी, पढ़ाई व अपनी वृद्धावस्था के लिए इन कंपनियों में निवेश की थी, लेकिन आज भी वे इस अरमान के साथ जीवन व्यतीत कर रहे हैं कि उन्हें उचित न्याय जरूर मिलेगा।
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