मेरे रग रग में बसा प्रदेश, मेरा मध्यप्रदेश

 

भारत का एक ऐसा केंद्रीय राज्य जिसे भारत का हृदय कहा जाता है वह है मध्यप्रदेश विकास की राह पर तेजी से बढ़ता हुआ मध्यप्रदेश अपनी अद्भुत और अतुलनीय के चलते आज भारत मे अपनी महत्ता को दर्शा रहा है। सर्वाधिक जनजातीय संख्या प्रदेश में निवास करती है। कृषि,व्यापार का लगातार आकर लेना प्रदेश को अन्य राज्यों से अलग महत्व दिलाता है। प्रदेश में घने जंगल और इसमे निवास करने वाले कई जानवर की विशाल संख्या/श्रृंखला आज मध्यप्रदेश के अलावा किसी अन्य राज्य में नही है। नदियों का कल कल बहते रहना जैसे एक चहरे पर उभरी मुस्कान के समान है।अतीत से लेकर वर्तमान में अपनी संस्कृति की महत्ता को दर्शाता प्रदेश आज भी एक विशाल वृक्ष की विशाल शाखाओं,जड़ो के समान फैला हुआ है।अपनी प्राचीन काल का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत करता आ रहा है। प्रो. लेडकर ने 1930 ईसवी में रिसर्च व जीवाश्म के आधार पर पूरी दुनिया को जताया कि जुरासिक पार्क की भूमि आज के मध्यभारत में ही थी।प्रदेश में कल कल बहने वाली नदियों का अपना अपना पौराणिक इतिहास रहा है।पहाड़ो, घाटियों, चट्टानों में मानव जाति के जीवन का कई कालखंडों में वर्णन हुआ है। इनकी रोचक दस्ताने आज कई पुस्तको में देखने और पढ़ने को मिल सकता है। वैदिक सभ्यता,राजा महाराजो के वंश,राज काल का वर्णन शिलालेखों पर आसानी से देखा जा सकता है। प्रदेश में आपसी सम्पर्क के तौर पर हिंदी भाषा का ज्यादा प्रयोग किया जाता है। राज्य की प्रमुख बोलियाँ बुंदेली, बघेली, निमाड़ी, मालवी सहित जनजातीय बोलियों का चलन है।

मध्यप्रदेश को नदियों का निवास भी कहा जाता है कई नदियां ऐसी है जो प्रदेश से निकलती है अन्य प्रदेश को अपने जल से निर्मल कर देती है। केन, सोन, टोंस, क्षिप्रा, चम्बल, बेतवा, कुंवारी सिंध, जामुनी, धसान, बाघेन, पासुरनिक, नर्मदा कछार, नर्मदा नदी, वर्धा, बैनगंगा, ताप्ती, माही नदी सहित नदियाँ है।

मध्यप्रदेश में कई तरह के धार्मिक आयोजन वर्ष भर होते रहते है।मध्यप्रदेश में मेलो का भी अपना एक इतिहास रहा है। यह मेले आमजन की जीवन शैली में ऐसे घुलमिल गए है मानो इनके बिना जीवन अधूरा है।मेलो की इतिहास की बात की जाए तो जानकार बताते है कि मध्य प्रदेश में इसका इतिहास कई सालों पुराना है। यह मेले अवधि,संख्या के अनुसार अपना रूप धारण करते थे और उसी अनुसार इनकी अवधि हुआ करती थी।अधिकांश मेले धार्मिक आयोजन के दौरान ही होते थे।कुछ प्रमुख इस प्रकार है जैसे सिंहस्थ, सिंगाजी महाराज का मेला, कालूजी महाराज का मेला,अमरकंटक का शिवरात्रि मेला सहित कई प्रमुख मेले है जो राज्य के वैभव और धार्मिकता को दर्शाते हैं।

यदि बात की जाए ऐसी नामो की जिन्होंने अपने नामों के साथ प्रदेश के नाम को भी पूरे भारत मे जगह जगह तक पहुचाया है। तो वर्णन करना भी मुश्किल है लेकिन कुछ ऐसे नाम जो आ इतिहास के पन्नो पर प्रदेश के साथ खुद भी महत्व रखते है। तो वे है विक्रमादित्य, राजा भोज, वीरांगना दुर्गावती, हरदौल, अहिल्या बाई होलकर, टंट्या भील, चन्द्र शेखर आजाद, डॉ. भीमराव आम्बेडकर, डॉ. शंकर दयाल शर्मा, कुमार गंधर्व, किशोर कुमार, लता मंगेशकर सहित कई ऐसे नाम है। जिन्होंने  भारत मे ख्याति प्राप्त करते हुए मध्यप्रदेश का सम्मान बढ़ाया।

पत्रकारिता क्षेत्र से जुड़े ऐसे कई नाम है जो आज भी मध्यप्रदेश का गौरव बढ़ाते है सरकारों द्वारा इन नामों को महत्व देते हुए वर्ष में निर्धारित समय पर इन नामों को याद करते हुए इस क्षेत्र में कार्य कर रहे लोगों को पत्रकारिता पुरस्कार से पुरस्कृत किया जाता है।

ऐसी कई विधाएं है जिनका वर्णन कम शब्दों में करना मुश्किल है। लेकिन इन क्षेत्रों व सभ्यताओं ने भी अपनी अपनी उपलब्धियों के साथ मध्यप्रदेश को पूरे भारत में एक बड़ी उपलब्धि के साथ इतिहास के पन्नो पर दर्ज कराया है। आज 1 नवम्बर को मध्यप्रदेश अपना 66 वां स्थापना दिवस मना रहा है। आइए हम भी प्रदेश के विकास के लिए संकल्प ले और अपने दायित्व का निर्वहन करें।

चेतन राठौड़,अधिमान्य पत्रकार(म.प्र.)


टिप्पणियाँ

तापमान

+29
°
C
+30°
+24°
Dewas
Saturday, 24
Sunday
+31° +24°
Monday
+27° +23°
Tuesday
+25° +23°
Wednesday
+27° +23°
Thursday
+24° +23°
Friday
+29° +23°
See 7-Day Forecast

Cricket Score

Archive

संपर्क फ़ॉर्म

भेजें