समदड़िया बिल्डर का खेल,सरकारी निर्माण में देरी या भ्रष्टाचार की साजिश?



देवास(चेतन राठौड़)।देवास में समदड़िया बिल्डर का नाम अब विवादों में घिरता जा रहा है। एक ओर जहां वह अपने ज्वेलरी शोरूम के निर्माण में तेजी से जुटा हुआ है, वहीं दूसरी ओर सरकारी निर्माण कार्यों में हो रही देरी सवाल उठाने के लिए मजबूर कर रही है। कलेक्टर कार्यालय, नगर निगम और आईएसबीटी जैसे महत्वपूर्ण सरकारी प्रोजेक्ट्स के निर्माण कार्यों में हो रही कछुए की चाल से प्रगति ने यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या यह केवल प्रशासन की लापरवाही है, या इसके पीछे कोई गहरी साजिश और मिलीभगत काम कर रही है?

क्या शहर की जमीन को लेकर खेल खेला जा रहा है?

स्मरणीय है कि समदड़िया बिल्डर को विभिन्न निर्माण कार्यों के बदले नगर निगम और कलेक्टर कार्यालय के आसपास की भूमि का आवंटन किया गया है। इन कामों में प्रमुख रूप से नवीन कलेक्टर कार्यालय, चामुंडा क्लब, कर्मचारी आवास, आईएसबीटी, भगवती सराय, एमआर और जोन कार्यालयों का निर्माण शामिल है। यह सभी परियोजनाएं सामूहिक रूप से करोड़ों रुपये की लागत वाली हैं। लेकिन, इन सभी योजनाओं में जो सबसे चिंताजनक पहलू है, वह है निर्माण कार्यों की धीमी गति।

क्या यह सिर्फ लापरवाही है या है कोई और साजिश?

समदड़िया बिल्डर को मिले वर्क आॅर्डर को अब एक साल से ज्यादा समय हो चुका है, लेकिन काम की रफ्तार कछुए से भी धीमी है। नगर निगम के आयुक्त रजनीश कसेरा ने भी इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए समदड़िया बिल्डर को नोटिस जारी किया है। अब सवाल यह उठता है कि आखिरकार सरकार के महत्वपूर्ण कामों में इतनी देरी क्यों हो रही है? क्या यह सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही है, या फिर इसके पीछे कोई भ्रष्टाचार या मिलीभगत की साजिश छुपी हुई है?

समदड़िया बिल्डर के खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई, पर क्या यह पर्याप्त है?

समदड़िया बिल्डर के कामों में हो रही देरी ने न केवल नगर निगम अधिकारियों को बल्कि सांसद को भी चिंता में डाल दिया है। सांसद ने इस मामले में जांच कराने की बात कही है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि यदि समदड़िया बिल्डर को इस काम का जिम्मा सौंपा गया था, तो क्या सरकार के अधिकारियों को इस निर्माण कार्य की गुणवत्ता और समय सीमा की निगरानी करनी चाहिए थी?



कलेक्टर कार्यालय के निर्माण में नया ट्विस्ट: भूमि का अधिग्रहण और परिवर्तित योजनाएँ

कलेक्टर कार्यालय के निर्माण में जो जटिलताएँ आ रही हैं, उन्होंने अब नया मोड़ ले लिया है। पहले से तय योजना में बदलाव करते हुए, कलेक्टर कार्यालय के आसपास की पुलिस क्वार्टर्स की जमीन को कलेक्टोरेट के खुले क्षेत्र और पार्किंग के रूप में इस्तेमाल करने का निर्णय लिया गया है। अब यह सवाल उठता है कि क्या पहले से इस जमीन की आवश्यकता थी, और क्या यह भूमि पहले से ही प्रशासन के पास थी, या फिर इसके पीछे कोई और वजह छुपी हुई है? क्या प्रशासन ने कलेक्टर कार्यालय के निर्माण की शुरूआत करते समय भविष्य के लिए पार्किंग और खुले क्षेत्र की आवश्यकता का आकलन किया था?

क्या समदड़िया बिल्डर का ज्वेलरी शोरूम बनेगा शहर का सबसे बड़ा सवाल?

वहीं, समदड़िया बिल्डर के ज्वेलरी शोरूम का निर्माण युद्ध स्तर पर जारी है। यह वही बिल्डर है, जो नगर निगम और कलेक्टर कार्यालय के निर्माण कार्यों में महीनों से देरी कर रहा है। इस पर सवाल उठते हैं कि क्या समदड़िया बिल्डर के लिए निजी काम सरकारी परियोजनाओं से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण हैं?

आखिर क्यों देरी हो रही है? क्या प्रशासन और बिल्डर की मिलीभगत है?

इस पूरी स्थिति में यह स्पष्ट होता है कि कामों में हो रही देरी केवल प्रशासन की लापरवाही का परिणाम नहीं हो सकती। इस पर गंभीर जांच और कार्रवाई की आवश्यकता है ताकि यह साफ हो सके कि क्या समदड़िया बिल्डर की कार्यशैली और प्रशासन के अधिकारियों की लापरवाही में कहीं कोई मिलीभगत तो नहीं हो रही है।

समदड़िया बिल्डर और प्रशासन के बीच एक चक्रव्यूह?

कुल मिलाकर, देवास के विकास कार्यों में हो रही देरी और भूमि के आवंटन की पूरी प्रक्रिया को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। अब सवाल यह है कि प्रशासन और बिल्डर के बीच का यह संबंध कब तक शहर के विकास को प्रभावित करता रहेगा? यदि समय रहते इस पर कार्रवाई नहीं की गई, तो यह शहर के विकास को और भी नुकसान पहुँचा सकता है।


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