कुत्ता-प्रेम की आड़ में गुंडागर्दी
देवास। शहर की सड़कों पर इंसान और बच्चे आवारा कुत्तों से त्रस्त हैं। ऐसे में नगर निगम की नाकामी उजागर करने के लिए आज कुछ पशु-प्रेमियों द्वारा आंदोलन किया गया। मामला कुत्तों का था, लेकिन कवरेज के दौरान पत्रकारों से बदसलूकी और छात्राओं को आंदोलन में शामिल किए जाने से इस पूरे घटनाक्रम पर सवाल उठ गए।
पत्रकारों को चुप कराने की कोशिश...
मौजूद मीडियाकर्मियों ने आरोप लगाया कि जब उन्होंने आंदोलन में छात्राओं की मौजूदगी पर सवाल किया तो कुछ लोगों ने उनके साथ अभद्रता की। बताया गया कि हाथापाई की स्थिति बनी, माइक और मोबाइल नीचे गिराकर नुकसान पहुंचाया गया। पत्रकारों का कहना है कि वे केवल पक्ष जानना चाह रहे थे, लेकिन आंदोलनकारियों ने बौखलाकर प्रतिक्रिया दी।
इधर बेटी बचाओ का नारा, उधर बेटियों का इस्तेमाल...
प्रत्यक्षदर्शियों और छात्राओं के बयानों के अनुसार, शिशुविहार स्कूल की नाबालिग छात्राओं को पढ़ाई छोड़कर आंदोलन में खड़ा कर दिया गया। कई छात्राओं ने मीडिया से बातचीत में कहा कि वे तो पढ़ाई करने आई थीं, लेकिन उन्हें आंदोलन में शामिल कर लिया गया।इससे सवाल उठता है कि क्या बेटियों से पढ़ाई छुड़ाकर उन्हें आंदोलन का हिस्सा बनाना उचित है?
कुत्तों पर ढील, पत्रकारों पर सख्ती...
शहरवासी लंबे समय से आवारा कुत्तों की समस्या से परेशान हैं। लोगों का कहना है कि नगर निगम इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा। लेकिन जब पत्रकारों ने इस मुद्दे पर सवाल उठाए, तो उनके साथ बदसलूकी की गई। शहरवासियों का कहना है कि कुत्तों को काबू करने में निगम नाकाम दिखता है, लेकिन जब पत्रकार जब सवाल उठाते हैं साजिश कर उन पर सख्ती दिखाई जाती है।
इस नाटक की असली सच्चाई...
कुत्तों के बचाव के नाम पर आंदोलन किया गया,लेकिन हकीकत यह निकली कि,बच्चियों को सड़क पर खड़ा किया गया।पत्रकारों की स्वतंत्रता प्रभावित हुई।नगर निगम की लापरवाही पर पर्दा डालने की कोशिश हुई।
आंदोलन के पीछे बड़ा खेल...?
शहर में चर्चा है कि इस आंदोलन के पीछे किसी बड़े संगठन या फंडिंग का सहारा हो सकता है। हालांकि, इस संबंध में आधिकारिक पुष्टि होना अभी बाकी है। उक्त घटनाक्रम के बाद पत्रकारों ने थाने पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि शिकायत पर जांच की जा रही है और संबंधित लोगों पर विधिसम्मत कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी।

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