राजोदा में न्यायालय भवन निर्माण पर वकीलों ने उठाई आपत्ति
देवास। ग्राम राजोदा स्थित शासकीय भूमि पर जिला एवं सत्र न्यायालय का नया भवन बनाने की योजना को लेकर देवास के वकीलों ने कड़ा विरोध दर्ज कराया है। तहसीलदार देवास को प्रस्तुत आपत्ति पत्र में वकीलों ने स्पष्ट कहा कि राजोदा स्थल पर न्यायालय स्थानांतरित करना न तो व्यावहारिक है और न ही सुरक्षित। अधिवक्ता प्रवीण शर्मा ने बताया कि आज आपत्ति दर्ज करवाने का अंतिम दिन था,कोर्ट को स्थानांतरित करने वाले विषय पर देवास के अधिवक्ताओं ने एकजुटता दिखाते हुए हस्ताक्षरित एक पत्र तहसीलदार सपना शर्मा को सौंपा।
वकीलों की मुख्य आपत्तियाँ - -
सुविधा का संकट- प्रस्तावित राजोदा स्थल वर्तमान न्यायालय परिसर से लगभग 7 किलोमीटर दूर है। वहां तक पहुंचने के लिए सार्वजनिक आवागमन की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। इससे वकीलों, पक्षकारों और न्यायालयीन कर्मचारियों को गंभीर परेशानी होगी।
महिला वकीलों की सुरक्षा- संघ के अनुसार जिला अभिभाषक संघ में लगभग 200 महिला वकील कार्यरत हैं। राजोदा जैसे दूरस्थ और सुनसान क्षेत्र में सुरक्षा और आवागमन दोनों ही दृष्टि से उनकी स्थिति असुरक्षित होगी।
मौजूदा भवनों पर करोड़ों का निवेश- वर्तमान न्यायालय परिसर में शासन ने पहले से ही करोड़ों रुपए की लागत से कोर्ट भवन, मालखाना और शौचालय सहित कई अतिरिक्त संरचनाएँ बनवाई हैं। अगर न्यायालय राजोदा स्थानांतरित होता है तो यह सारा व्यय व्यर्थ हो जाएगा।
खतरनाक स्थान - राजोदा का प्रस्तावित स्थल इंदौर–देवास बायपास पर स्थित है, जो दुर्घटना-प्रवण क्षेत्र माना जाता है। वकीलों ने याद दिलाया कि इसी मार्ग पर पूर्व में कई बड़ी सड़क दुर्घटनाएँ हो चुकी हैं, जिनमें मंत्री स्व. लक्ष्मण सिंह गौड़ की मौत भी शामिल है।
न्यायाधीशों के आवास पर असर - संघ ने कहा कि शासन ने वर्तमान परिसर में न्यायाधीशों के आवास भवन भी तैयार कराए हैं। स्थान परिवर्तन से यह निवेश भी व्यर्थ हो जाएगा।
अन्य कार्यालयों की तरह यथास्थान निर्माण की मांग - वकीलों ने तर्क दिया कि कलेक्टरेट, नगर पालिक निगम और पुलिस अधीक्षक कार्यालय सभी पुराने स्थान पर ही बनाए गए हैं, ऐसे में न्यायालय को दूरस्थ क्षेत्र में स्थानांतरित करना अनुचित है।
कृषि भूमि और पर्यावरण पर असर - प्रस्तावित भूमि कृषि योग्य है। वहां निर्माण से खेती की जमीन नष्ट होगी और पर्यावरण पर भी विपरीत प्रभाव पड़ेगा। के
पर्याप्त खाली भूमि वर्तमान परिसर में ही-संघ ने कहा कि मौजूदा न्यायालय परिसर में भी पर्याप्त जमीन खाली पड़ी है। वहां व्यवस्थित योजना बनाकर नए भवन और पार्किंग स्थल का निर्माण किया जा सकता है।
वकीलों ने प्रशासन से मांग की है कि उनकी आपत्तियों को गंभीरता से स्वीकार करते हुए ग्राम राजोदा की भूमि पर न्यायालय भवन निर्माण योजना तत्काल निरस्त की जाए और वर्तमान परिसर में ही अतिरिक्त भवन विकसित किए जाएँ।उक्त जानकारी अधिवक्ता मुकेश शर्मा ने दी।






कुछ नहीं होना है आपत्ति से
जवाब देंहटाएंइंदौर कोर्ट जब पीपल्याहाना के लिए प्रस्तावित हुई तब इंदौर के 7000 वकीलों ने कोर्ट नहीं बनाने का विरोध किया था फिर भी पीपल्याहाना में ही बनाई जा रही है