जिला शिक्षा अधिकारी को आखिर कब होगा अपने दायित्व का बोध
कार्यालय कक्ष के बाहर हमेशा यही स्थिति बनी रहती है |
चेतन राठौड़। जिला शिक्षा विभाग की कार्यशैली से वैसे तो देवास जिले का प्रत्येक नागरिक भलीभांति परिचित है। विभाग के सुस्त रवैए के चलते मनमानी करने वाले कई स्कूलों को बल मिलता रहा है। विभाग के अधिकारी महोदय भी अपने सुस्त रवैये व अपनी कार्यशैली के चलते इन दिनों चर्चाओं में बने हुए हैं।जिला शिक्षा अधिकारी एच.एल खुशाल अपने दायित्व का किस प्रकार निर्वहन कर रहे हैं यह वर्तमान में सबके सामने जगजाहिर है।
फोन नही उठाना, कार्यालय समय पर भी कार्यालय पर नही मिलना आम बात है। फोन लगाकर कभी ये जानने का प्रयास तक नही किया कि लगाने वाले को कार्य हो सकता है इनकी यही कार्यशैली इन्हें सबसे अलग जाजम पर खड़ा रखती है। वैसे तो अनगिनत विषय है जिमसें अधिकारी महोदय की उदासीनता के चलते आज तक सकात्मक परिणाम नही मिले है इससे विभाग की शाख पर बट्टा लगा है।
बात यदि वर्तमान समय की की जाए तो 12वी व 10वी की बोर्ड परीक्षाएं आयोजित हो रही है। जब परीक्षाओं के विभिन्न विषयों पर चर्चा करने को लेकर इन्हें फोन लगाते हैं तो यह फोन नहीं फोन उठाते हैं और ना ही पुनः फोन लगाकर लगाने वाली की मंशा समझने का प्रयास करते है। जब अधिकारी महोदय से चर्चा करने के लिए इनके कार्यालय पर जाए तो वहाँ गेट बंद दिखता है और कर्मचारियों का हमेशा की तरह रटा रटाया जवाब मिलता है कि साहब ग्रामीण दौरे पर गए है। लेकिन इनके ग्रामीण दौरे के बारे में और दौरे के दौरान विभाग के लिए क्या कार्य किया है इसकी जानकारी किसी के पास नही होती है।
प्रत्येक वर्ष विभाग द्वारा वार्षिक परीक्षाओं के पहले संवेदनशील केंद्रों की सूची जारी की जाती है जो इस बार नही की गई है। आयोजित प्रश्नपत्र में उपस्थित विद्यार्थियों की संख्या, केंद्रों की संख्या, नकल प्रकरण, अनुपस्थित विद्यार्थियों की संख्या सहित परीक्षाओं से जुड़े एक भी विषय की जानकारी मीडिया को साझा करने से क्यों घबरा रहे है अधिकारी महोदय यह एक प्रश्न के समान है। इनकी इसी कार्य शैली के चलते कई बातों को हवा मिल रही है जिसमे सबसे बड़ा मुद्दा जो चर्चा का केंद्र बना है वह है शिक्षा माफिया। रोजाना शिक्षा माफिया व नकल करवाने वाली गैंग की चर्चाएं सोशल मीडिया पर उठती है लेकिन इन सब विषयों की जानकारी होने के बाद भी विभाग का मौन रवैया इस सब अनैतिक विषयो को बल दे रहा है। यह उदासीनता केवल परीक्षाओं से जुड़ी नही है सामान्य दिनों में भी यही कार्यशैली विभाग द्वारा व इनके अधिकारी महोदय द्वारा अपनाई जा रही है। अब जब इन्हें अपने दायित्वों का का बोध नही है और दायित्वों का निर्वहन नहीं कर पा रहे हैं तो जिले के आला अधिकारियों को इन्हें अपना दायित्व याद दिलाने की बहुत ही जरूरत है।
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