आखिर कब मिलेगी शिक्षित बेरोजगार को नौकरी
चार साल पहले जब मुख्यमंत्री से मिले थे रूपराम |
सीएम ने भोपाल में दिया था आश्वासन, चार साल बाद भी नहीं मिली नियुक्ति
परीक्षा में उपस्थित होने पर भी बता दिया था अनुपस्थित, आज तक भुगत रहा खामियाजा
देवास।प्रदेश में बेरोजगारी को लेकर स्थिति किस कदर तक बिगड़ चुकी है, इसकी एक बार फिर बानगी देखने को मिली है। प्रदेश सहित शहर में जहां बेरोजगारों के लिए शिविरों का आयोजन किया जा रहा है, वहीं पिछले चार साल से एक शिक्षित बेरोजगार युवा नियुक्ति पाने के लिए कार्यालयों के चक्कर काट रहा है, जिसे स्वयं मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान भोपाल बुलाकर नौकरी देने का आश्वासन दे चुके हैं। शिक्षा विभाग द्वारा बरती गई लापरवाही का खामियाजा उक्त युवा लंबे समय से भुगत रहा है। ऐसे में उसने एक बार फिर शासन से मदद की गुहार लगाते हुए नौकरी देने की मांग की है।
चार साल हो गए न्याय की गुहार लगाते लगाते
एक ओर प्रदेश सरकार की सरकार शिक्षित बेरोजगारों को रोजगार देने का दावा करती है और स्वयं मुख्यमंत्री बार-बार सार्वजनिक मंचों से घोषणा करते है कि प्रदेश के बेरोजगारों को रोजगार दिया जा रहा है, किंतु एक शिक्षित बेरोजगार पिछले 4 साल से न्याय की गुहार लगा रहा है और उसे मुख्यमंत्री शिवराजसिंह के आश्वासन के बाद भी नियुक्ति नहीं मिल पाई है। ऐसे में सरकार द्वारा किये जा रहे दावे खोखले साबित होते नजर आ रहे है। दरअसल देवास जिले के पीपलकोटा गांव के रहने वाले रूपराम पिता शिवलाल पेठारी ने भोज विश्वविद्यालय भोपाल से मास्टर ऑफ सोशल वर्क की डिग्री हासिल की थी। रूपराम ने वर्ष 2012 में इसी पाठ्यक्रम के प्रथम वर्ष की परीक्षा दी थी, किंतु जब अंक सूची आई तो एक विषय में उपस्थित रहने के बावजूद विश्वविद्यालय अनुपस्थित दर्शाकर फेल कर दिया। इसी अंक सूची में संशोधन के लिए रूपराम ने वर्ष 2012 से लेकर 2018 तक पूरे 6 वर्ष विश्वविद्यालय प्रबंधन से लेकर मुख्यमंत्री व मानव अधिकार आयोग तक के दफ्तरों के चक्कर लगाए, लेकिन न्याय नहीं मिला। हालांकि पूरे 6 वर्ष बाद तमाम कोशिशों के बाद रूपराम का प्रकरण सीएम के समाधान कार्यक्रम में पहुंच गया, तब रूपराम को सीएम के समक्ष अपनी समस्या रखने के लिए परिवार सहित देवास कलेक्टर के माध्यम से वल्लभ भवन भोपाल बुलाया गया। तब कहीं जाकर सीएम द्वारा पूरे मामले को सुनने के बाद संशोधित अंकसूची दिलवाई गई। वहीं पर रूपराम ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि विश्वविद्यालय की गलती के कारण मेरा कैरियर चौपट हो गया है। अत: मेरी योग्यता व 10 वर्ष के एनजीओ के अनुभव के आधार पर डीपीएम के पद पर राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की संविदा भर्ती में सीधी नियुक्ति दी जाए। साथ ही रूपराम ने यह भी कहा कि यदि मेरे कैरियर का कोई विकल्प नहीं बचा है तो मुझे इच्छा मृत्यु की अनुमति दी जाए। तब मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने आश्वासन दिया था कि डीपीएम पद पर रूपराम को सीधे नियुक्ति दे दी जाए, किंतु 4 वर्ष बीत जाने के बाद भी मुख्यमंत्री के आश्वासन पर अमल नहीं हुआ है और इस शिक्षित बेरोजगार रूपराम को अभी भी विश्वविद्यालय की गलती का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा था - बर्बाद हुए कैरियर को संवारने की जिम्मेदारी सरकार की
पीडि़त रूपराम ने बताया कि जब वह परिवार सहित मुख्यमंत्री से मिला था, तब मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने कहा था कि उच्च शिक्षा विभाग द्वारा तुम्हारे कैरियर को बाधित किया है। साथ ही सरकारी नौकरी के अवसरों से भी वंचित किया है, इसीलिए तुम्हारे बर्बाद हुए कैरियर को संवारने की जिम्मेदारी सरकार की है। रूपराम के लिए सरकार संवेदनशील व उदारवासी दृष्टिकोण अपनाकर केवल सारी योग्यताओं और अनुभव के अनुरूप सीधे शासकीय नियुक्ति देगी। साथ ही संशोधित अंकसूची में देरी करने वाले अधिकारियों पर भी कठोर कार्यवाही करने के निर्देश दिये थे। रूपराम को अंकसूची तो मिल गई है, किंतु नियुक्ति आज दिनांक तक नहीं मिली है।
न्याय के लिए पूरा परिवार करेगा अनशन
रूपराम ने बताया कि मेरे परिवार ने निश्चय किया है कि उनके बेटे रूपराम का कैरियर व भविष्य बर्बाद हो चुका है। यदि अब भी कोई रास्ता नहीं निकलता है तो पूरा परिवार अनिश्चितकाल के लिए आमरण अनशन प्रारंभ कर देगा।
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