‘सेहत सेतु’ बना दिखावा सेतु
कलेक्टर ने किया शुभारंभ,मरीज अब भी बेहाल
जिला अस्पताल की हकीकत चीख-चीख कर कह रही इलाज नहीं,सिर्फ प्रचार
देवास(चेतन राठौड़)। जिला प्रशासन ने ‘सेहत सेतु’ के नाम पर एक बार फिर जनता को डिजिटल सपना दिखा दिया।एक कॉल पर अपॉइंटमेंट, विशेषज्ञ डॉक्टर,टेस्ट की सुविधा...लेकिन ज़मीनी सच्चाई ये है कि देवास जिला अस्पताल खुद वेंटिलेटर पर पड़ा है। मरीज लाइन में तड़प रहे हैं, डॉक्टर गायब हैं, और जांच के नाम पर मरीजों को निजी लैब में भेजा जा रहा है। ऐसे में यह योजना सेहत के लिए नहीं, नेताओं और अफसरों की छवि सुधारने के लिए सेतु बन गई है।
तामझाम के साथ होटल में लगे एसी हाल में कलेक्टर साहब ने परियोजना को “जनकल्याण की दिशा में क्रांतिकारी पहल” बताया। मंच पर बैठे अफसरों ने तालियां बजाईं, पॉवरपॉइंट प्रेजेंटेशन चला और दिल्ली-मुंबई वाले अधिकारी मुस्कुरा रहे थे। मानो देवास में हेल्थ सिस्टम अमेरिका जैसा हो गया हो।
लेकिन अगर आपको जिला अस्पताल की सच्चाई जाननी हो तो अस्पताल के जनरल वार्ड में चले जाइए वहां मरीज़ बिना इलाज के तड़पते दिख जाएंगे। डॉक्टरों की कमी, नर्सों की अनुपलब्धता और दवाओं का टोटा... यही है वास्तविक देवास स्वास्थ्य मॉडल की।
- घर बैठे अपॉइंटमेंट मिलेगा,लेकिन इलाज के लिए क्या मिलेगा?
न डॉक्टर समय पर मौजूद,न जरूरी जांच सुविधा,न उपलब्ध दवाएं और अगर मरीज गरीब है तो अस्पताल से भगा दिया जाता है या फिर कह दिया जाता है बाहर से करा लो।
- गर्भवती महिलाओं के लिए योजना कारगर? हकीकत उलटी
जिले में हाई रिस्क प्रेग्नेंसी वाली महिलाएं गांव से आती हैं, लेकिन जब अस्पताल पहुंचती हैं तो महिला डॉक्टर की कुर्सी खाली होती है। कभी छुट्टी, कभी मीटिंग, कभी अभी आती हूं,आता हु’ वाला रटा-रटाया जवाब।ऐसे में क्या कोई कॉल सेंटर इलाज कर पाएगा?
- तो फिर ‘सेहत सेतु’ है क्या?
एक डिजिटल जाल जिसमें जनता को उलझाया जा रहा है। एक प्रचार माध्यम जिससे फर्जी आंकड़े गढ़े जाएंगे। एक पॉलिटिकल प्रोजेक्ट जिसे शासन में बैठे लोग पीआर मशीन की तरह इस्तेमाल करेंगे
- क्यों न हो जांच इस जमीनी झूठ की?
कलेक्टर और स्वास्थ्य विभाग अगर इतने ही आत्मविश्वास में हैं तो एक दिन बिना सूचना के जिला अस्पताल का औचक निरीक्षण कर लें,सेहत सेतु की असली तस्वीर साफ हो जाएगी।
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