मस्तिष्क पर तिलक और गले मे तुलसी की माला होना जरूरी है


कृष्ण जी की लीला पढ़े, राम जी के आदर्शो को पढ़े-देवकीनंदन जी ठाकुर

देवास। हम सनातनी है, हमारे मस्तिष्क पर तिलक और तुलसी की माला होना जरूरी है। यह हमारा फंडामेंटल राइट है। उक्त विचार अध्यात्म प्रवक्ता पं. देवकीनंदन ठाकुर ने स्कूली बच्चों एवं युवाओं की अमेजिंग क्लास के समय व्यक्त किए। यूथ टॉक विथ ठाकुर जी की इस क्लॉस में पांच हजार से अधिक बच्चे व युवा शामिल हुए। कई बच्चों ने जटिल सवाल किए, जिसका जवाब ठाकुर जी ने सरल, सहज तरीके से बच्चों को दिए। ठाकुर जी ने कहा कि आप इतने समझदार हो कि आपको कहानी सुनाने की जरूरत नही है। आप स्वयं अपनी कहानी लिख सकते हो। आप अपना जीवन बदलोगे तभी एक सफल भारतीय नागरिक बनोगे। ठाकुर जी ने बच्चों और युवाओं से कहा कि आप दिनभर फोन पर लगे रहते है। फोन का घाव ऑक्सीजन नही भरेगा। अगर एक तरफ स्कूल का बेग है और एक तरफ आई फोन है तो आप लोग किसे पंसद करेंगे। अधिकांश बच्चों ने आईफोन के लिए हाथ उठाया तो ठाकुर जी ने कहा कि जले हुए कोयले से हाथ का घाव 10-15 दिन में भर जाएगा, लेकिन फोन जो घाव देगा वो ऑक्सीजन भी नही भरने वाला। जिस बच्चें ने दो ढाई साल फोन यूज कर लिया। तो वह मेंडल डिस्टबेंस भी हो सकता है। माता-पिता कहते है कि हमारे बच्चे बोर हो जाते है। तो बच्चों जब भी मोबाईल देखने का मन करे तो खेल के मैदान में चले जाओ या फिर घर में रहकर पुस्तकों को पढ़ो। गहरी सास लेकर ठाकुर जी का स्मरण करो। कृष्ण की लीला पढ़े, राम के आदर्शो को पढ़े। एक बच्चे ने प्रश्न किया कि में घर में रहती हूँ तो परेशान रहती हूँ। ठाकुर जी ने कारण तो बच्चे ने बताया कि माता-पिता झगड़े करते है। इस पर ठाकुर जी ने कहा जिस घर में भगवान की पूजा नही होती वहां तनाव ही रहेगा। इसलिए बच्चों सुबह जल्दी उठकर पढ़ाई करे, स्नान करके सूर्य को अध्र्य दे और थोड़े समय ही सही पर भगवान की पूजन करे। घर में अपने आप कलह मिट जाएगी। एक बच्चे ने पूछा क परीक्षा का प्रेसर कैसे कम करे तो ठाकुर जी उत्त्तर दिया कि यह सोचना बंद कर दे कि रिजल्ट क्या होगा। मेहनत पर विचार करो, परिणाम पर नही। जो बच्चा रिजल्ट से डरता है वह सफलता प्राप्त नही कर सकता। इसलिए मेहनत करो, सफलता ईश्वर पर छोड़ दो। उन्होंने माता-पिता के लिए कहा कि बच्चों को नंबर लाने पर प्रेशर मत डालो। परीक्षा से तीन दिन पहले पढऩा छोड़ तो सालभर जो पढ़ाई कि है सिर्फ उसका चिंतन और मनन करो। आंखे बंद करके सोचो की अब तक क्या पढ़ा और परिणाम से मत डरो बस सफलता मिलना शुरू हो जाएगी। 


डेढ़ घंटे की इस क्लास में कम से कम 20 से 25 बच्चों ने अपने प्रश्न किए और ठाकुर जी ने उनका समाधान कर उनको तनाव से मुक्त कराया। आपने कहा कि यह क्लास नही थी बल्कि देश के भावी भविष्य के प्रति एक चिंतन है। जो आज के समय पर आवश्यक है। इस अवसर पर बच्चों के साथ अनेक माता-पिता, विद्यालय के शिक्षक-शिक्षिका भी उपस्थित थे। कथा संयोजक रायसिंह सेंधव, अध्यक्ष दुर्गेश अग्रवाल, आयोजक दीपक गर्ग, अजब सिंह ठाकुर, रमण शर्मा आदि विशेष रूप से उपस्थित थे। 

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