ईमानदारी की अनूठी मिसाल,वृद्ध बाबूलाल ने लौटाया लाखों का सामान

 



उम्र के इस पड़ाव में ईमानदारी का जज्बा प्रेरणा के समान

दुनिया में आज भी अच्छे लोग है ये बाबूलाल जी ने साबित किया-कृष्णा

देवास। चंद रुपयों के लिए जहाँ आज विवाद की स्थिति बन जाती है रिश्तों में खटास व दरार तक आ जाती है। वही ठीक इसके विपरीत वृद्ध बाबूलाल पिता रामलाल जैन ने ईमानदारी का परिचय देते हुए अनूठी मिसाल पेश की है।

बाबूलाल जी ने बताया कि में पतासे बेचने का व्यवसाय कई वर्षों से करता आ रहा हूं। पहले व्यवसाय काफी बड़ा था लेकिन जीवन में आये उतार चढ़ाव के बाद स्थिति बदल गयी। एमजी रोड़ पर मेरी एक छोटी सी किराया की दुकान है। मंगलवार 7 दिसम्बर को दुकान पर मुझे एक बॉक्स दिखा उसे खोलने पर देखा तो उसमें सोने की वस्तु रखी हुई थी जो एक बाजूबंद के समान दिखाई दे रही थी। मैंने उसे अपने पास संभाल कर रखा लिया शादी का सीजन चल रहा है तो निश्चित मेरी दुकान पर पतासे खरीदने आये किसी ने भूल से रख दिया होगा जो इसे तलाश करते हुए जरूर आएगा। शाम होने तक मैंने इंतजार किया लेकिन कोई नहीं आया और मैं उस बॉक्स और उसके अंदर रखे बाजूबंद को लेकर अपने साथ घर चला गया। उसकी क्या कीमत थी मुझे कोई अंदाजा नही था। बस में उसके मालिक की राह देखता रहा। मेरे ही परिवार की एक दुकान कुछ दूरी पर ही है वह भी पतासे बेचने का ही कार्य करते है उनके द्वारा मुझे ज्ञात हुआ कि इस बाजूबंद के मालिक अपना सामान तलाश करते हुए आये थे।अगले दिन बुधवार 8 दिसम्बर को कृष्णा राठौड़ ने सम्पर्क किया और बताया कि यह बाजूबंद मेरा है तो मैंने सबसे पहले प्रेम दादा चावड़ा से संपर्क करते हुए उन्ही के समक्ष उस बाजूबंद को उसके मालिक को सौप दिया।

श्री चावड़ा ने बताता कि बाबूलाल जी को कई वर्षो से पतासे बेचने का कार्य करते हुए देखते आ रहे है। वे सरल स्वभाव व ईमानदार छवि के रहे हैं। जीवन का हर दौर देख चुके बाबूलाल जी आज काफी कठिनाईयो के दौर से गुजर रहे हैं। उनका व्यवहार आज भी शालीन ही है जैसा पहले था । खुशी होती है कि हम ऐसे लोगो के बीच रहते है हमे उन पर गर्व है।

बाजूबंद प्राप्त करने वाले कृष्णा राठौड़ निवासी उपड़ी देवास से चर्चा की तो उन्होंने बताया कि हमें विश्वास नहीं था कि हमे अपनी यह चीज मिल जाएगी। हमारे घर में शादी का माहौल है इस बाजूबंद को रिपेयर करवाने के लिए हम देवास स्थित सुनार की दुकान पर गए थे।लेकिन बाजूबंद रिपेयर नहीं हो पाया और फिर हम शादी की खरीदारी में लग गए। पतासे खरीदने के दौरान बाजूबंद का बॉक्स दुकान पर ही रखा दिया और निकल गए। एक परिचित के माध्यम से बाबूलाल जी से सम्पर्क साधा और अपना बाजूबंद प्राप्त किया। बाजूबंद लगभग 1 लाख 50 हजार रुपये का है। सच में आज भी अच्छे लोग रहते है बाबूलाल जी से मिलकर लगा। उनकी वर्तमान स्थिति की जानकारी लगी है हम उनकी मदद करना चाहते है शादी समारोह से निपटने के बाद पुनः बाबूलाल जी से सम्पर्क करेंगे।

इस पूरी घटना के बाद सोशल मीडिया पर बाबूलाल जी  की ईमानदारी की पोस्ट वायरल हो रही है। उनके द्वारा इतनी कठिनाई के बाद में बिना मोह माया में पड़कर इस कीमती बाजूबंद को लौटना ईमानदारी की अनूठी मिसाल पेश कर रहा है।

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