तीसरी लहर को लेकर कितना चिंतित है शिक्षा विभाग?
सम्बंधित अधिकारी नही उठाते है फोन
नौनिहालों की जान से हो रहा खिलवाड़
देवास। आज पूरा देश तीसरी लहर को लेकर डरा और सहमा हुआ है। लगातार बढ़ रहे संक्रमण से बचाव के लिए केंद्र व राज्य सरकार नियम लागू कर रही है, सतर्कता बरतने के लिए कह रही है। इसके बावजूद शिक्षा विभाग बनाए गए नियमों पर ध्यान नहीं दे पा रहा है। देवास के ऐसे कई निजी स्कूल हैं, जहां कोरोना गाइडलाइन के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। सीएम ने कुछ दिन पूर्व स्कूलों को लेकर नियम एवं शर्तें लागू की थी, लेकिन इसका कहीं पालन नहीं कराया जा रहा है। देवास के शिक्षा विभाग में यह आलम है कि केवल यह अपना कार्य अपने ऑफिस में ही बैठकर पूर्ण कर रहा है। आज तक धरातल पर जाकर किसी भी स्कूल का ना ही निरीक्षण किया और न ही जानकारी लेना चाही कि यहां बच्चों की सुरक्षा के लिए क्या व्यवस्थाएं की गई हैं।
शहर के कुछ निजी स्कूलों में कोरोना गाइडलाइन का पालन नहीं किया जा रहा है। शासन के निर्देश अनुसार 50 प्रतिशत क्षमता के साथ ही स्कूल खोलने के साथ ही विद्यार्थियों को मास्क लगाना जरूरी है। परंतु स्कूल में 50 प्रतिशत से अधिक बच्चों को बुलाया जा रहा है। कई विद्यार्थी बिना मास्क के ही स्कूल पहुंच रहे हैं। विद्याथियों को दो गज की दूरी से बैठाने पर भी नहीं ध्यान दिया जा रहा है। विद्यार्थियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कक्षा में पूरे छात्र आ रहे हैं। जिसकी वजह से कोरोना का संक्रमण फैलने की आशंका है। भारत में नए वेरिएंट ओमिक्रोन के केस बढ़ रहे हैं, जो कि कोविड-19 से भी खतरनाक बताया जा रहा है। इसके बावजूद स्कूलों में लापरवाही बरती जा रही है। सोशल मीडिया पर इसे लेकर विरोध भी दर्ज कराया जा रहा है कि स्कूल संचालकों की लापरवाही की वजह से संक्रमण की आशंका है। उधर इस संबंध में जब जिला शिक्षा अधिकारी एच.एल. खुशाल से संपर्क करने का प्रयास किया गया, तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।
शिक्षक भी नहीं हैं सजग
स्कूलों में कोरोना नियमों के पालन नहीं होने के पीछे एक प्रमुख वजह यह सामने आई है कि स्कूलों के शिक्षक ही निर्देशों के प्रति सजग नहीं है। शिक्षक व स्कूल प्रबंधन में कार्यरत कर्मचारी वायरस के प्रति पूरी तरह से बेफिक्र हैं। इन कर्मचारियों को बगैर मास्क के ही स्कूलों में कामकाज करते, छात्रों को अध्यापन कार्य कराते हुए देखा जा सकता है। वहीं अधिकांश छात्र छात्राएं बगैर मास्क के ही स्कूल में आ रहे हैं। वहीं मास्क के अलावा वायरस से बचने के लिए अन्य इंतजामों की बात की जाए, तो स्कूलों में सैनेटाइजर, हैडबॉश के लिए उचित प्रबंध भी दिखाई नहीं दे रहा है।
शिक्षा विभाग कब निभाएगा अपना दायित्व?
देवास का शिक्षा विभाग हमेशा से ही अपनी कार्यशैली को लेकर चर्चा में रहा है। विभाग का कार्य होता है कि सरकार द्वारी जारी किए गए दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करे। बावजूद अपने ढीलपोल रवैये के चलते हमेशा से ही यह विभाग हमेशा आंख मूंदकर दिखाई दिया है। फीस वृद्धि हो या फिर शिक्षा क्षेत्र से जुड़ी अन्य समस्या, विभाग ने कभी भी तत्परता नहीं दिखाई और उसे हल करने का कभी भी प्रयास नहीं किया गया। आज सरकार सीधे-सीधे नियम लागू कर बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित है, लेकिन विभाग ने कभी भी जाकर किसी भी स्कूल का निरीक्षण नहीं किया कि यहां पर नियमों का पालन कराया जा रहा है कि नहीं। अपने कार्यालय में बैठकर इस विभाग के अधिकारी दायित्वों से पल्ला झाड़ रहे हैं। अब ऐसे में सरकार द्वारा जारी किए गए नियमों का पालन कौन कराएगा? यह समझा जा सकता है।
शीतलहर में भी नहीं हुआ समय परिवर्तन
पिछले दो दिनों से ठंड अत्यधिक होने के बाद भी अभी तक बच्चों के स्कूल समय में परिवर्तन नहीं हुआ है। इसका मुख्य कारण है अन्य जिलों पर आश्रित रहना। जब तक वहां पर शीतलहर के चलते समय परिवर्तन नहीं होगा, तब तक हम भी अपने दायित्वों का निर्वहन नहीं करेंगे। ऐसे में अब इसका खामियाजा नौनिहालों को भुगतना पड़ रहा है और ऐसी कडक़ड़ाती ठंड में सुबह-सुबह स्कूल की ओर पलायन करना पड़ रहा है। अब जब अन्य जिले समय में परिवर्तन नहीं हो रहा है, तो देवास के जिम्मेदार अधिकारी भी अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहे हैं और अन्य जिलों के निर्णयों पर आश्रित बैठे हैं।
सम्बंधित अधिकारी नहीं उठाते फोन
जब इस गम्भीर विषय से जिला शिक्षा अधिकारी श्री खुशाल को अवगत करवाने के साथ ही इस सम्बंध में उनका पक्ष जानने के लिए दो दिनों तक फोन माध्यम से सम्पर्क करना चाहा तो उन्होंने फोन उठाना भी उचित नहीं समझा। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि वे अपने कर्तव्य को लेकर कितने गम्भीर हैं। ऐसे में जब सम्बंधित अधिकारी जवाब देना उचित नहीं समझ रहे हैं तो जिले के जिलाधीश महोदय का कर्तव्य बनता है कि वे इस विषय को गम्भीरता से लेते हुए कोई ठोस कार्यवाही करें।
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