पैसे डबल करने का लालच देकर धोखाधड़ी करने पर डायरेक्टरों को मिली सजा
पैसे डबल करने का लालच देकर धोखाधड़ी करने पर डायरेक्टरों को मिली सजा
देवास।राजेन्द्र सिंह भदौरिया, प्रभारी उप संचालक/जिला लोक अभियोजन अधिकारी ने बताया कि दिनांक 23.12.2020 को फरियादी विमल चौधरी ने अपने मित्र किशोर पटेल, राजेश पांचाल, और कैलाश जायसवाल के साथ आरक्षी केन्द्र कोतवाली देवास पर उपस्थित होकर मौखिक रिपोर्ट दर्ज कराई। वर्ष 2014 में ग्रेसियस कॉलोनाइजर इंडिया लिमिटेड चिटफंड कंपनी, आयकन मल्टी कलानी बाग, देवास के डायरेक्टर लखन जायसवाल और धर्मेंद्र ठाकुर ने 10.01.2014 को उन्हें कार्यालय में बुलाकर कहा कि यदि वे उनकी कंपनी में एक लाख रुपये जमा करेंगे, तो 5 साल बाद डबल राशि मिलेगी। इस लालच में आकर फरियादी और उसके मित्रों ने कंपनी में आर.डी. और एफ.डी. खाते खुलवाए।
फरियादी ने 30.04.2015 को एक लाख रुपये की एफ.डी. क्रमांक एल-810100006332 में निवेश किया, जिसमें उसे 30.10.2020 को 2,00,000 रुपये मिलने थे। फरियादी ने अपने नाम से दो आरडी खाते तथा अपनी पत्नी और बेटे के नाम से एक-एक आरडी खाता खुलवाया, जिसमें कुल 1,58,500 रुपये की राशि जमा की। उसके मित्रों और अन्य लोगों ने भी एफ.डी. और आर.डी. खाते खोले, लेकिन उनकी परिपक्वता होने पर भी दोनों अभियुक्तों ने एफ.डी. और आर.डी. की राशि का भुगतान नहीं किया और राशि का गबन कर लिया। इसके बाद प्रथम सूचना रिपोर्ट पंजीबद्ध की गई और आवश्यक अनुसंधान पूर्ण कर अभियुक्तों के खिलाफ अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया।
तृतीय अपर सत्र न्यायालय, जिला देवास (समक्ष: राजेन्द्र कुमार पाटीदार साहब) द्वारा निर्णय पारित किया गया। आरोपी लखन पिता नारायण जायसवाल (उम्र 38 वर्ष, निवासी मिश्रीलाल नगर, देवास) और धर्मेंद्र सिंह पिता जगन्नाथ ठाकुर (उम्र 36 वर्ष, निवासी ग्राम मोहम्मदपुर बनखेड़ा, जिला सीहोर) को दोषी पाते हुए भादंस की धारा 420 में 4-4 वर्ष का सश्रम कारावास और 50,000 रुपये का अर्थदंड, धारा 406 में 3-3 वर्ष का सश्रम कारावास और 50,000 रुपये का अर्थदंड, धारा 120-बी में 2-2 वर्ष का सश्रम कारावास और 50,000 रुपये का अर्थदंड, तथा धारा 6(1) म.प्र. निक्षेपकों के हितों का संरक्षण अधिनियम में 4-4 वर्ष का सश्रम कारावास और 1,00,000 रुपये का अर्थदंड सुनाया गया।
उक्त प्रकरण में शासन की ओर से कुशल पैरवी जगजीवनराम सवासिया, विशेष लोक अभियोजक, जिला देवास द्वारा की गई, जबकि कोर्ट मोहर्रिर आरक्षक हर्षवर्धन चौहान का विशेष सहयोग रहा।
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