देवास पुलिस कप्तान का जनता दरबार

 


न्याय के साथ मीठे बोल देते है राहत

जनता दरबार को लेकर कप्तान से खास बातचीत 

देवास(चेतन राठौड़)। देवास जिले के पुलिस कप्तान/पुलिस अधीक्षक डॉ. शिवदयाल सिंह अपनी विशिष्ठ कार्य शैली के द्वारा आमजन के दिलो में अपनी विशेष जगह बना चुके है। एसपी कार्यालय में प्रतिदिन कई फरियादी अपनी विभिन्न समस्या लेकर पहुँचते है। फरियादियों की समस्या सीधे कप्तान ही सुनते है और गम्भीरता से लेते हुए उचित कार्रवाई का आश्वासन देते है।प्रारंभिक रूप में शब्दों द्वारा मिले आश्वासन से भी फरियादी की कुछ हद तक समस्या हल हो जाती है और कानून के प्रति उसकी आस्था और बढ़ जाती है। कप्तान द्वारा आवेदनों को अपने अधीनस्थ को सौपते हुए समय-समय पर मॉनिटरिंग की जाती है।अपनी शांत किंतु कार्य के प्रति गम्भीर शैली के चलते पुलिस अधीक्षक कार्यालय पर फरियादियों की संख्या लगातार बढ़ने लगी है । आश्वासन मिलने से फरियादी खुश होता है और कहते हुए जाता है कि पुलिस कप्तान के दरबार में हमें न्याय की आस जगी है।अपने नाम के अनुसार ही पुलिस अधीक्षक की कार्यशैली है।

कई ऐसे छोटे बड़े विषय चर्चाओं में रहे हैं व जानने को मिलते है। जब पुलिस कप्तान अपने क्षेत्र से दो कदम आगे निकल कर फरियादियों की मदद करते है। केवल फरियादी ही नही अपने विभाग के जवानों की भी वे मदद करते है। कप्तान अपनी पुलिस टीम के प्रत्येक जवान चाहे वह वरिष्ठ हो युवा या नया,जिले के किसी भी क्षेत्र/थाने में हो, वे उनकी मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहते है। इसी के चलते पुलिस विभाग में  उनकी अहमियत और अधिक बड़ी है।

कप्तान डॉ. सिंह जितने सरल है उतने ही अपने कार्य के प्रति गंभीर भी हैं ।देवास जिले में उनके कार्यकाल को 2 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं उन्होंने तमाम अपराधों पर अंकुश लगाने की चुनौती गंभीरता से ली है और उसमे सफल भी रहे है ।माफिया हो या आदतन अपराधी सभी को कानून का पाठ बड़ी शक्ति से साथ पढ़ाया है। कई ऐसे प्रकरण है जिसमें पुलिस को वर्षों से कोई भी सुराग नहीं मिल रहा था उसमें अपनी शैली से हल करते हुए भी दिखाई दिए। कप्तान की सोच रही है कि अपराध को अपराधी के दिल और दिमाग से खत्म किया जाए और समाज की मुख्यधारा में जोड़ा जाए।



कप्तान से खास बातचीत

चैतन्य टाइम्स द्वारा जनता दरबार को लेकर पुलिस अधीक्षक/कप्तान डॉ. शिवदयाल सिंह से खास बातचीत की गयी और जाना कि डॉ. सिंह अपने जनता दरबार मे फरियादियों को कैसे न्याय दिलाते है और न्याय मिलने तक कैसे मॉनिटरिंग करते है।डॉ. सिंह ने बताया कि हमने एक सिस्टम बनाया है यह सिस्टम ऐसा है कि कोई फरियादी एसपी आफिस आता है तो मैं स्वयं उसे सुनता हूं। तुरंत फरियादी के आवेदन का फोटो खींचकर संबंधित अधिकारी को जिसको कार्रवाई करना है जैसे मान लेवे ग्रामीण क्षेत्र के टीआई को उस विषय पर काम करना है। तो उन्हें फोन पर आवेदन फॉरवर्ड कर दिया जाता है। फरियादी के घर पहुंचने से पहले ही पुलिस उसके घर पर पहुंच जाती है और आगे की कार्रवाई को पूरा करती है। पहले यह होता था कि यहां से आप जैसे ही आवेदन भेजोगे डाक के माध्यम से 2 से 3 दिन उसे ग्रामीण थाने पर पहुंचने में लग जाते थे,आवेदन मिलने के बाद पुलिस कर्मचारी उसके घर जाता था ।इस बीच फरियादी इंतजार करता था की कब कार्रवाई होगी वह यह भी सोचता था कि विभाग उसकी सुनवाई नहीं कर रहा है।कई मसले गंभीर होते हैं जैसे किसी को घर में नहीं घुसने दिया जा रहा है या कोई छेड़छाड़ कर रहा है ऐसे विषयों में तुरंत कार्रवाई की जरूरत होती है। यही हमारा बेस था, पहली बार हमने यह मॉडल अडॉप्ट किया था।हम लोग उसे ऑनलाइन प्रोसेस करें तो फरियाद के पहले पुलिस उसके घर पर पहुंच जाती है।इस एक फीडबैक सिस्टम से तीसरे दिन हम यह पता करते हैं कि फरियादी पहले दिन आया था,उसकी शिकायत पर क्या कार्रवाई की गई या हुई।जिस पर संबंधित टीआई अपनी कार्रवाई के बारे में बतलाते है। फरियादी संतुष्ट हुआ या नहीं, नहीं होता है तो आगे की कार्रवाई की जाती है। इसका परिणाम यह हुआ कि गंभीर मामले को में हमने 24 घंटे के अंदर आरोपी को गिरफ्तार किया।यदि 24 घंटे में गिरफ्तारी नहीं हो पाती है तो इस विषय को सीधे एसपी के संज्ञान में लाया जाता है ताकि आगे की कार्रवाई की जा सके। फीडबैक सिस्टम के लिए हमने थानों पर रजिस्टर रखवाये है। थानों पर जो भी लोग आते हैं प्रत्येक व्यक्ति वह कैमरे की निगरानी में रहता है और सब की रिकॉर्डिंग होती है वह अपना नाम और नंबर उस रजिस्टर में लिखता है हम इस रजिस्टर को मेंटेन करते हैं आईए थाने और हाटपिपलिया थाने पर हमने इसकी शुरुआत की है। आप वहा जाकर रजिस्टर देखेंगे तो आपको शिकायतों की जानकारी मिल जाएगी। उस रजिस्टर में दिनभर की जितनी इंट्री होती है। वह सभी शिकायतें हमारे पास एसपी ऑफिस सिस्टम पर आ जाती है। जैसे ही हमें वह शिकायतें ऑफिस में प्राप्त होती है तो हमने यहां पर एक कंट्रोल रूम बना रखा है। फिर कंट्रोल रूम से उस फरियादी से रात में उपयुक्त समय पर बात की जाती है कि आप थाने पर किस काम के लिए आए थे और किस विषय को लेकर आवेदन दिया है। क्या आप की सुनवाई हुई है,आप पुलिस की कार्यवाही से संतुष्ट हैं। किसी ने आप से पैसे की मांग तो नहीं कि आपके साथ व्यवहार गलत तो नहीं हुआ,कोई असुविधा तो नहीं हुई तो वह फरियादी सब बातें बताता है। यदि वह संतुष्ट नहीं होता है तो हम थाने के अधिकारी से चर्चा करते हैं। कि आपने ऐसा व्यवहार क्यों किया और कार्रवाई क्यों नहीं की यदि थाने से संतुष्ट होकर नहीं जाता है। तो अगले दिन किसी भी हालत में एसडीओपी ऑफिस से संबंधित को फोन लगाकर बुलाया जाता है और उचित कार्रवाई की जाती है।हमारे इस सिस्टम और इस प्रणाली को काफी सहारा भी गया है और कई जगह इसे अमल में भी लाया गया है।

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