पार्षद बनाम अधिकारी


नगर निगम में पार्षद व अधिकारी फिर से आमने-सामने,मामला थाने पहुँचा

देवास।शहर के विकास के लिए कार्य करना का दायित्व जिस संस्था के पास है वो है नगर निगम,लेकिन वर्तमान नगर निगम भवन अब धीरे धीरे विवादों का केंद्र बनता जा रहा है। जहाँ पर पार्षद और अधिकारियों के बीच लगातार विवादों की स्थिति निर्मित होती  रहती है।इतना ही नही शीर्ष पदों पर बैठे अधिकारी और जनप्रतिनिधि जब भी मामला बिगड़ता है तो बीच बचाव करते ही दिखाई देते है।आज भी एक मामले को लेकर भाजपा पार्षदगण और निगम अधिकारी व कर्मचारी आमने सामने हो गए,स्थिति ऐसी बन गयी के निगमकर्मी थाने पहुँच गए।

नगर निगम में बुधवार को नगर निगम के राजस्व निरीक्षक प्रदीप शास्त्री ने भाजपा पार्षद व एमआईसी सदस्य शीतल गेहलोत पर अभद्र व्यवहार करने व जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाया। मामला इतना बिगड़ गया कि सभी कर्मचारी एकत्रित हो गए और थाने पहुँचे,इधर पार्षदों ने निगम अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए नगर निगम परिसर में फ्लेक्स व बेनर दिखाते हुए नारेबाजी।थाने के बाद सीधे कर्मचारी एडिशनल एसपी जयवीरसिंह भदौरिया ने मिले और उचित कार्यवाही करने के लिए आवेदन सोपा,जिसके तुरन्त बाद पार्षदगण भी एडिशनल एसपी जयवीरसिंह भदौरिया से मिले और अपना पक्ष रखा।

महापौर गीता दुर्गेश अग्रवाल ने कहा-

निगम में सभी कर्मचारी और पार्षदगण एक परिवार के समान है।घर की बात है घर मे ही निपट जाएगी,हमने दोनों पक्षो को समझाइश दे दी है।महापौर ने यह भी बताया कि जब कर्मचारियों ने काम बन्द करने की बात कही थी तो सभी प्रमुखों से चर्चा कर उन्हें परिवार में मनमुटाव चलते रहते है लेकिन इसका असर हमारे कार्यो पर नही पढ़ना चाहिए ऐसा समझाया, जिसके बाद कर्मचारियों ने बात का समर्थन करते हुए,अपना कार्य जारी रखनी की बात कही।

राजस्व निरीक्षक प्रदीप शास्त्री ने कहा-

कालोनी के खाते खुलवाने के लिए मुझे फाईल दी थी। उसके लिए मुझे शीतल गेहलोत ने धमकी दी और पैसे खाने की बात कही। साथ ही कमरा बंद कर मेरे साथ अभद्रता की।पूरे मामले की जानकारी हमने महापौर को दी ।कोतवाली थाने व पुलिस अधीक्षक को आवेदन देकर प्रकरण दर्ज करने की मांग की है।

भाजपा पार्षद शीलत गेहलोत ने कहा-

पिछले हफ्ते नामांतरण की कुछ फाइलें राजस्व निरीक्षक प्रदीप शास्त्री को सौंपी थी। चूंकि नामांतरण करवाने लोग परेशान हो रहे थे, इसीलिए मैंने सीधे राजस्व निरीक्षक को फाइल सौंपी थी। जब मैंने एक हफ्ते बाद फाइलों की स्थिति के बारे में जानना चाहता तो मेरे सहायक को जानकारी दी गई कि फाइलें गुम हो गई है। जिस पर मैंने प्रदीप शास्त्री को चर्चा के लिए राजस्व समिति अध्यक्ष जितेंद्र मकवाणा के कक्ष में बुलवाया था। जब मैंने फाइलों के बारे में जानना चाहता तो शास्त्री संतोषपूर्ण जवाब नहीं दे सके। विवाद जैसी कोई बात नहीं हुई है। नामांतरण के नाम पर भ्रष्टाचार किया जाता है और जब जनप्रतिनिधियों द्वारा इनकी मनमानी पर अंकुश लगाने का प्रयास किया जाता है, तो हम पर झूठे आरोप लगाए जाते है।

जब सभी कर्मचारी अपने अधिकारी के समर्थन में एकत्रित हुए तो भाजपा पार्षद गेहलोत के समर्थन में नेता सत्तापक्ष मनीष सेन, संजय दायमा, विनय सांगते, अजय तोमर, भूपेश ठाकुर, राजेंद्र ठाकुर, जितेंद्र मकवाणा, इरफान अली, गोपाल क्षत्री सहित भाजपाई डटे रहे।



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