सांठ-गांठ कर प्राधिकरण को पहुंचाया था आर्थिक नुकसान
प्राधिकरण अध्यक्ष ने किया खुलासा
देवास। देविप्रा अध्यक्ष राजेश यादव पत्रकारो से रूबरू हुए,यादव प्राधिकरण अध्यक्ष बने के बाद से ही प्राधिकरण को पुनः विकास की पटरी पर लाने के लिए संघर्ष कर रहे है।पत्रकारो से भेंट करते हुए यादव ने एक बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि 19 आवासीय प्लॉटों के टेंडर उनके अध्यक्ष बनने से पूर्व जारी हुए थे। जिसमें आपसी सांठ-गांठ कर कुछ लोगों ने बाजार मूल्य से कम दरों पर 12 प्लॉटों के लिए आवेदन दिए थे। उनके अध्यक्ष बनने के बाद मामले को संज्ञान में लेकर उन टेंडरों को निरस्त कर पुन: टेंडर बुलाए गए। जिससे देविप्रा को 2 करोड़ 14 लाख रूपए के राजस्व में अतिरिक्त लाभ मिला है।लगभग 15 वर्षों के बाद देविप्रा को राजस्व में अतिरिक्त लाभ मिला है।
बताया कि मेरे प्राधिकरण अध्यक्ष की घोषणा होने के पूर्व एक प्रेस विज्ञप्ति एमआर मार्ग स्थित देवीकुलम में 19 आवासीय प्लॉटों के टेंडरों की जारी हुई थी, जिसमें 12 प्लॉटों के आवेदन प्राधिकरण के पास आए थे। जिनकी अधिकतम बोली लगाई गई थी। मेरे अध्यक्ष पद ग्रहण करने के उपरांत इस मामले के दस्तावेजों को देखा तो यह प्रतीत हुआ कि जो टेंडर में प्लॉटों की जो किमत है उसमें कम रेट उन लोगों ने डाले हैं जिन्होनें बोली में भाग लिया था। इससे ऐसा भी प्रतीत हुआ कि उन्होनें आपसी सांठ-गांठ करके प्लॉटों के रेट डाले हैं। सभी प्रकार से जानकारी लेने के बाद उन प्लॉटों के आवंटन को निरस्त कर फिर से प्लॉटों के टेंडर बुलाए गए थे। श्री यादव ने बताया कि पूर्व में लीज रेंट पर प्रापर्टी दी गई थी, लेकिन इस बार हमने फ्री होल्ड करके गाइड लाइन के अनुसार टेंडर आमंत्रित किए गए। जिसमें अधिक लोगों ने भाग लिया। जिसमें प्राप्त दरें बाजार मूल्य के अनुसार आई है। जिसका परिणाम यह रहा कि प्राधिकरण को लगभग 15 वर्षों के बाद 2 करोड़ 14 लाख का अतिरिक्त राजस्व लाभ मिला है। श्री यादव ने कहा कि मैं जब तक यहां पर अध्यक्ष हूं प्राधिकरण को आर्थिक रूप से एक अच्छी संस्था के रूप में सक्षम करने का पूरा प्रयास करूंगा।हालांकि इस सांठ-गांठ में उस समय के मौजूद प्राधिकरण अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे है।
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