सरकार द्वारा माझी मछुआ समाज के साथ की जा रही है वादाखिलाफी

धिक्कार दिवस मनाते हुए दिया ज्ञापन

देवास- मछुआ कांग्रेस के महासचिव संजय कहार द्वारा एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए बताया गया कि।प्रदेश की भाजपा सरकार के द्वारा माझी मछवा समाज के जो पुश्तैनी धंधे हैं उन में हस्तक्षेप करते हुए अन्य जाति के लोगों को भी शामिल कर लिया गया है। साथ ही अनेक ऐसे मुद्दे हैं जिन्हें माझी मछुआ समाज के हक में प्रदेश सरकार लागू करते हुए उन्हें शीघ्र अमल में लाने की मांग को लेकर प्रदेश मछुआ कांग्रेस के महासचिव संजय कहार के नेतृत्व में बुधवार को एक ज्ञापन महामहिम राष्ट्रपति एवं राज्यपाल के नाम कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर डिप्टी कलेक्टर संजीव सक्सेना को सोपा।

ज्ञापन में बताया गया कि मध्यप्रदेश में निवास करने वाले माझी मछुआ समाज जिन्हें का कहार,भोई,ढीमर,केवट नावीक, मल्लाह,निषाद, सिहराहे ,सिंहरोडे उपनाम रायकवार बाथम कश्यप बर्मन का पैतृक रूप से जातिगत व्यवसाय मछली पालन मत्स्य आखेट नाव चालन करना एवं नदी तालाबों से निकली जमीनों पर खरबूजा तरबूज लगाना प्रमुख काम है और यह समाज आर्थिक और शैक्षणिक रूप से कमजोर है समाज सदियों से भारत भूमि का मूल निवासी है।

यह लोग आरंभ से ही नदी पहाड़ों जलाशयों के करीब रहते आए हैं इनके रहन-सहन और खान-पान में आदिम युग की झलक देखी जा सकती है। इन लोगों को आजादी के बाद से ही संविधान में मांझी जाति के नाम पर अनुसूचित जनजाति का आरक्षण भी दिया गया है ।

वही हमारे जो पेतृक व्यवसाय हैं उसमें अन्य जातियों के हस्तक्षेप को भी समाप्त किया जाए मांझी जाति को लेकर जारी आदेश दिनांक 1 जनवरी 2018 को संशोधित किया जाए , पिछड़ा वर्ग सूची क्र 12 पर दर्ज सभी जाति तथा अप नामों को हटाकर अनुसूचित जनजाति की सूची क्रमांक 29 पर दर्ज माझी के साथ जोड़ा जाए, मांझी जाति प्रमाण पत्र धारी लोगों के शिकायतों के आधार पर छानबीन समिति में लंबित सभी प्रकरणों को समाप्त किया जाए, मछली पालन नीति 2008-9 में शामिल कर दी गई गैर वंशानुगत मछुआ जातियों को यहां से हटाया जाए , मध्यप्रदेश शासन द्वारा  प्रदेश में लागू किए गए पैसा एक्ट में प्रदेश के 89 आदिवासी विकास खंडों में जितने भी तालाब जलाशय उन पर सभी में मछली पालन का अधिकार आदिवासी भाइयों को दिया गया है । 

इस पेसा एक्ट के बाद प्रदेश में आदिवासी विकास खंडों के तालाबों से अब वंशानुगत मछुआरे बेदखल हो गए हैं अतः शासन द्वारा लागू पेसा एक्ट में संशोधन कर आदिवासी विकास खंडों के तालाबों में जलाशय में मछली पालन का काम वंशानुगत मछुआरों को ही वापस दिया जाए, नदी तालाब जलाशय से खुलने वाली जमीनों पर तरबूज तरबूज ककड़ी व साग सब्जी आदि लगाने के लिए इन जमीनों के 15 वर्षीय पट्टे दिए जाएं। ज्ञात रहे कि सन 1988 से तत्कालीन  प्रदेश सरकार ने 15 वर्ष की अवधि के ऐसे पट्टे प्रदेश में समाज के हजारों लोगों को दिए हुए थे जो शासन के राजस्व रिकॉर्ड में अनेक जिलों में दर्ज भी है जिन्हें पुन: दर्ज किया जाय , नदियों से निकलने वाली रेत के 50% पर माझी मछुवा समाज का अधिकार होना चाहिए।

इस अवसर पर माझी समाज के साथ कांग्रेस के शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष मनोज राजानी, जयप्रकाश शास्त्री, शौकत हुसैन,भगवान सिंह चावड़ा ,प्रदीप चौधरी ,प्रवेश अग्रवाल ,सुधीर शर्मा, अजीत बदला, बहादुर मुकाती नरेंद्र यादव ,इम्तियाज शेख भल्लू ,संतोष मोदी ,रमेश व्यास,  राजेश राठौर ,पंकज वर्मा सहित माझी समाज के समाज जन भी उपस्थित थे।

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