देवास(चेतन राठौड़)।जिला अस्पताल का नाम आते ही आम जनता के मन मे एक ऐसी भव्य बिल्डिंग दिखाई देने लगती है जो अंदर से खोखली है,जिसमें असुविधा ही असुविधा व्याप्त है।आज बारिश के दृश्यों ने जिले सहित पूरे प्रदेश में जिला अस्पताल की एक बार फिर पोल खोल कर रख दी है। ऐसा नही की केवल बारिश ही जिला अस्पताल की व्यवस्थाओं की वास्तविकता दर्शाती है,पूरे वर्षभर यहाँ की स्थिति मरीजों को परेशान करती नजर आई है। पूरे जिले का भार झेलने वाला जिला अस्पताल हमेशा से ही असुविधा का केंद्र रहा इलाज के नाम पर शून्य रहा।सामान्य इलाज हो या बड़ी बीमारी यहाँ के जिम्मेदार इंदौर की चिकित्सा सेवा पर ही निर्भर रहे।ऐसे कई विषय है जो जिला अस्पताल की सत्यता सभी के सामने लाकर रख देता है,चैतन्य टाइम्स से समय समय पर अस्पताल की ऐसी असुविधाओं को प्रकाशित किया,जिससे देखने के बाद यहाँ की स्थिति का सही अनुमान या सत्यता सबके सामने आई।
अब बात उस मुद्दे कि जिसको लेकर अभी जिला अस्पताल ज्यादा सुखियो में बना हुआ है।जिला अस्पताल में कायाकल्प के नाम पर करोड़ो रूपये खर्चने वाले अस्पताल में आज स्थिति दयनीय है।लगातार जारी बारिश ने भी यहाँ की वास्तविकता से सबको अवगत करवाकर पूरे प्रदेश में अस्पताल की सत्यता सामने लाकर रख दी है। कई बार वास्तविकता दिखाने के बाद भी यहाँ के जिम्मेदार की नींद नही खुली।कई सामाजिक संस्थाएं व कार्यकर्ता भी समय-समय पर अपनी आवाज बुलंद कर यहाँ की स्थिति में सुधार लाने का प्रयास करते आये है।
औचक निरक्षण के बाद भी नही सुधरे हालात
मंत्रियों,स्वास्थ्य अधिकारियों,जिला अधिकारियों के निरीक्षण के बाद भी जिला अस्पताल की स्थिति आज तक नहीं सुधरी,बेहतर सुविधाओ का महिमाण्डन करना लेकिन धरातल पर सब शून्य ही रहा।
नगर जनित सुरक्षा समिति के अनिल सिंह बैस ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए बताया कि--एमजी अस्पताल में जीर्णोद्धार के नाम पर करोड़ों रुपए पानी की तरह बहा दिए, लेकिन व्यवस्थाएं दुरुस्त नहीं हुई हैं। सिर्फ जीर्णोद्धार करने से मरीजों का भला होने वाला नहीं है। अव्यवस्था का आलम यह है कि शनिवार को हुई बारिश का पानी कई वार्डों में घुस गया। लैबोरेटरी में पानी भर जाने के कारण लाइट व्यवस्था भंग हो गई। करंट फैलने के भय से लाइट बंद करना पड़ी। इससे मरीजों की जांच में परेशानियों का सामना करना पड़ा। खासकर स्ट्रक्चर पर ले जाए जा रहे गंभीर मरीजों को व व्हील चेयर पर गर्भवति माताओं को उपचार के लिए लाने ले जाने में भारी फजीहत हुई। छत से टपकते व वार्डों में भरे पानी के बीच ही मरीजों का इलाज चल रहा है। मरीज व उनके साथ आए परिजन दिनभर जिम्मेदारों को कोसते रहे। जिम्मेदारों द्वारा अस्पताल में की जा रही अनदेखी का खामियाजा मरीजों और उनके साथ आए परिजनों को भुगतना पड़ रहा है। जिला अस्पताल में घुसे पानी को निकालने के लिए जनरेटर लगाया गया, लेकिन सिर्फ जनरेटर लगाने से काम चलने वाला नहीं है, क्योंकि वार्डों में पानी से पूरा वार्ड कीचड़युक्त हो गया है। आने-जाने वाले मरीजों एवं उनके परिजनों को असुविधा का सामना करना पड़ा। वार्डो में टपक रहे पानी को मोटर पंप जनरेटर द्वारा भी नहीं निकाला जा सकता है, लेकिन जब तक कोई ठोस उपाय न किए जाए तब तक परेशानी कम नहीं होगी।जिला अस्पताल की असुविधाओं के चलते ही मरीज प्रायवेट अस्पतालों की और अपना रुख अपना लेते है। करोड़ो रूपये खर्चने के बाद भी जिला अस्पताल असुविधाओं से उभर नही पाया है और उसी का खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है।यही कारण है कि कई मरीज कर्जा लेकर बड़े अस्पताल में इलाज करवाने को मजबूर है।
Is asptal ka Dhyan rkne Vala dewas ka koi prtinidhi aage nhi aaya
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