समलैंगिक विवाह: यह कानून हिंदू धर्म,सनातन धर्म की पारिवारिक व्यवस्था के विरुद्ध है-श्रीमती सोनी
समलैंगिक विवाह कानून के विरोध में सडक़ों पर उतरे सामाजिक संगठनो के लोग
देवास। यह कानून जो पारित किया जा रहा है और इसका जो समर्थन किया जा रहा है यह हिंदू धर्म और सनातन धर्म की की पारिवारिक व्यवस्था के विरुद्ध है यह एक कृत्य समान है अगर यह लागू होता है तो देश को हानि वहन करनी पड़ेगी।श्रीमति मिथलेश सोनी हिन्दू जागरण मंच जिला सह सयोजक ने ज्ञापन के दौरान यह विचार व्यक्त किये।
सर्व समाज जागरण मंच के आह्वान पर सभी बन्धुजन जवाहर चौक पर एकत्रित हुए यही से रैली के रूप में शहर के मुख्य मार्ग से होते हुए मण्डुक पुष्कर पहुँचे और राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट अभिषेक शर्मा को सौंपा गया। सर्वोच्च न्यायालय में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग में सुनवाई चल रही है।ज्ञापन का वाचन हेमंत शर्मा ने किया। उपस्थित जनसमुदाय की सुमन मुंदड़ा, हरिसिंह धनगर ने संबोधित किया।
जबकि कानून बनाने का अधिकार विधायिका लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा,आदि के माध्यम से जनप्रतिनिधियों की बहस के बाद बहुमत के आधार पर किसी प्रकार का निर्णय होता है। भारत ही नहीं सभी एशियाई देशों में विवाह कानूनी कांटेक्ट नहीं अपितु संस्कार है। यह दो शरीरों का मिलन नहीं,दो परिवारों का विस्तार है। यह भारत की परिवार व्यवस्था ही है। जिसके कारण सैकड़ों विदेशी आक्रमण- आघातों के बाद भी भारतीय परंपरा व संस्कृति जीवित है। सर्वोच्च न्यायालय की इस प्रकार और ऐसे दूषित विषय को लेकर की जा रही जल्दी-जल्दी सुनवाई राष्ट्रहित से परे दिखाई पड़ती है।
जबकि और भी देश हित मे महत्वपूर्ण निर्णय होना सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है उस पर जल्दी-जल्दी सुनवाई क्यों नही कर पा रहे। इस प्रकार की चर्चा भारतीय उच्च संस्कारो एवं परंपराओं के आदर्शवादी वातावरण को दूषित करती है। यही कारण है कि संपूर्ण देश में इस सुनवाई का विरोध हो रहा है। इस अवसर पर अनेक सामाजिक संगठनों के लोग उपस्थित थे।
टिप्पणियाँ