व्यापम परीक्षा:फर्जी एग्जाम देने वाले आरोपियों को हुआ कारावास
वर्ष 2015 में प्रेस्टीज इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेन्ट में दी थी परीक्षा
देवास।राजेन्द्र सिंह भदौरिया जिला लोक अभियोजन अधिकारी द्वारा बताया गया कि दि.16.08.15 को व्यावसायिक परीक्षा मण्डल भोपाल द्वारा आयोजित वनरक्षक भर्ती परीक्षा-2015 में परीक्षार्थी दीपक कुमार के स्थान पर एक अन्य व्यक्ति विकास कुमार परीक्षा दे रहा है और जब उससे रिकार्ड ऑफ आन्सर शीट एण्ड अटेण्डेंस पर हस्ताक्षर करवाये गये तो हस्ताक्षर का मिलान नहीं होने के कारण परीक्षा के बाद पूछताछ किये जाने पर उसने स्वीकार किया कि वह दीपक कुमार के स्थान पर परीक्षा दे रहा था।
इस संबंध में एलएनसीटी भोपाल के अधीक्षक द्वारा थाना प्रभारी आरक्षी केन्द्र बिलखिरिया भोपाल को सूचित किया जाकर विकास के विरूद्ध प्रकरण पंजीबद्ध कर अन्वेशन प्रारंभ उपरांत पुलिस पूछताछ में उसने बताया कि अखिलेश ने दीपक के स्थान पर परीक्षा देने के लिये 10,000/- रूपये दिये थे।
जिस पर पुलिस द्वारा अखिलेश को गिरफ्तार कर उससे पूछताछ करने पर उसने बताया कि उसने वनरक्षक भर्ती परीक्षा-2015 के देवास स्थित परीक्षा केन्द्र प्रेस्टीज इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेन्ट में अभियुक्त टीटू बघेल के स्थान पर परीक्षा देने के लिये अमित को 10,000/- रूपये दिये थे। पुलिस द्वारा अमित को गिरफ्तार करने पर उसके कब्जे से टीटू बघेल की परीक्षा का एडमिर्ट कार्ड जप्त किया था। जिस पर से थाना बिलखेरिया ने प्रकरण को असल कायमी हेतु थाना औ.क्षेत्र देवास को भेज दिया था। पुलिस पूछताछ में अखिलेश ने बताया था कि परीक्षा में टीटू बघेल के स्थान पर अमित कुमार को 10,000/- रूपये देकर प्रेस्टीज इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेन्ट देवास में परीक्षा दिलवाई थी और इस काम को करने के लिये रवि उर्फ रविन्द्रपाल ने प्रत्येक परीक्षार्थी के लिये एक-एक लाख रूपये देने की बात कही थी। इस जानकारी के उपरांत टीटू बघेल और रवि उर्फ रविन्द्रपाल को गिरफ्तार किया।
प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश जिला देवास द्वारा निर्णय पारित कर आरोपीगण टीटू बघेल व रवि उर्फ रविन्द्रपाल को भा.दं.सं. की धारा 467 सहपठित धारा 120बी में 4-4 वर्ष के सश्रम कारावास व 3000-3000/- अर्थदण्ड से दण्डित किया गया।प्रकरण में कुल चार आरोपियों में से 2 अभी भी फरार चल है।
उक्त प्रकरण में शासन की ओर से अभियोजन का संचालन मनोज कुमार निगम, अपर लोक अभियोजक, जिला देवास द्वारा किया गया एवं उक्त प्रकरण में आरक्षक शंकर पटेल का विशेष सहयोग रहा।
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