देवास का चना घोटाला:गर्भवती महिलाओं व कुपोषित बच्चों के लिए आया चना हुआ गायब,कार्यवाही अब तक नहीं


देवास। भ्रष्टाचार के मामलों में देवास जिला लगातार अपनी सीमाएं लांघ रहा है।इस बार की घटना काफी अलग है  गर्भवती महिलाओं व कुपोषित बच्चों के लिए आया चना बाले-बाले ही गायब हो गया और संबंधित तक पहुंचा ही नहीं। जिले की 9 परियोजनाओं में 1,43,700 बच्चों को 1437 क्विंटल चना बाटा जाना था, लेकिन फरवरी 2022 में महिला एवं बाल विकास परियोजना कन्नौद एवं खातेगांव में बच्चे व गर्भवती महिलाओं को बांटने के लिए आए चना में भारी भ्रष्टाचार हुआ था, जिसकी शिकायत के एक वर्ष बाद भी आज तक जांच नहीं हो पाई है और ना ही दोषियों पर कोई कार्यवाही हुई है। 


बाले-बाले बेच दिया चना

जानकारी के अनुसार महिला एवं बाल विकास विभाग कन्नौद को 250 क्विंटल एवं महिला एवं बाल विकास विभाग परियोजना खातेगांव को 177 क्विंटल चना कलेक्टर कार्यालय खाद्य विभाग से फरवरी 2022 में आवंटित किया गया था। इस चने को परियोजना के प्रत्येक आंगनवाड़ी केंद्र के हर बच्चे व गर्भवती महिलाओं व कुपोषित बच्चों को प्रति व्यक्ति 1 किलो के मान से देना चने देना थे, लेकिन चने को वितरण ही नहीं किया गया। बताया जाता है कि चने को वितरण करने की जगह बाले-बाले बेच दिया गया। उक्त मामले को एक वर्ष से ज्यादा समय हो गया, लेकिन अब तक मामले की जांच नहीं हो पाई है। 

शिकायतों के बाद भी नही हुई कार्यवाही

जब इसकी लगातार शिकायतें हुई तो जांच के नाम पर सिर्फ कागजी खानापूर्ति कर मामले को दबाने का प्रयास किया गया। उक्त मामले की शिकायत कन्नौद तहसील के ननासा के पूर्व जनपद सदस्य पिंटू गुर्जर, सतवास तहसील के महेश बड़ाया, जगदीश मनसुका सहित कई ग्रामीणजनों ने करते हुए बताया कि कई आंगनवाडिय़ों में चना पहुंचा ही नहीं है। मामले में भोपाल सहित जिला पंचायत सीईओ तक को भी शिकायत की गई, लेकिन मामले में कार्यवाही करने के बजाय ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। 

जिम्मेदार विभाग ने की आँखे बंद, झाड़ पल्ला

चना भ्रष्टाचार मामले में महिला एवं बाल विकास अधिकारी रेलम बघेल अब भी अनजान बनी हुई है। जब इस संबंध में उनसे चर्चा की तो उनका कहना था कि उक्त मामले की जानकारी मुझे नहीं है। जिला कलेक्टर ने दल गठित किया था। गठित दल द्वारा मामले की जांच कर उज्जैन संभाग कार्यालय को रिपोर्ट भेजी गई है। हमारे पास उक्त मामले में कोई भी दस्तावेज उपलब्ध नहीं है। न ही मुझे इस कार्यवाही के बारे में जानकारी है। 

अधिकारी के यह कहा

खाद्य अधिकारी शालू वर्मा से चर्चा की तो उनका कहना था कि उक्त मामले की जांच कर प्रतिवेदन महिला बाल विकास को भेज दिया है। हमने संबंधित दस्तावेज महिला बाल विकास को सौंप दिए है। आश्चर्य की बात है कि खाद्य विभाग बता रहा है कि जांच कर प्रतिवेदन महिला बाल विकास को भेजा है। लेकिन महिला बाल विकास का कहना है कि हमे इस बारे में कोई जानकारी नही है। आखिर इतने बड़े भ्रष्टाचार का मामला क्यों दबाया जा रहा है? और किसे बचाया जा रहा है। 

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